इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच 7 साल बाद बड़ा संघर्ष, रॉकेट हमलों में एक भारतीय महिला समेत 38 की मौत

Israel, Hamas escalate heavy fighting with no end in sight
इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच 7 साल बाद बड़ा संघर्ष, रॉकेट हमलों में एक भारतीय महिला समेत 38 की मौत
इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच 7 साल बाद बड़ा संघर्ष, रॉकेट हमलों में एक भारतीय महिला समेत 38 की मौत
हाईलाइट
  • 7 साल बाद इजराइल पर बड़ा हमला
  • इजराइली एयरफोर्स के जवाबी हमले
  • फिलिस्तीन ने 300 रॉकेट दागे
  • भारतीय महिला समेत 3 लोगों की मौत

डिजिटल डेस्क, यरुशलम। इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच एक बार फिर संघर्ष शुरू हो गया है। मंगलवार को फिलिस्तीन के हमास (इजराइल इसे आतंकी संगठन मानता है) संगठन ने इजराइल के तेल अवीव, एश्केलोन और होलोन शहर को निशाना बनाया। जवाब में इजराइली एयरफोर्स ने हमास की कब्जे वाली गाजा पट्टी पर हमला बोलते हुए 13 मंजिला बिल्डिंग को ढहा दिया। इस इलाके में 2014 के बाद इस तरह के हालात बने हैं और इस लड़ाई के थमने के फिलहाल कोई संकेत नहीं दिख रहे।

हमास के रॉकेट हमले में मंगलवार और बुधवार तड़के तीन महिलाओं और एक बच्चे सहित पांच इस्राइलियों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। हमास की तरफ से 130 रॉकेट इजराइल की तरफ दागे गए। 24 घंटे के अंदर इनकी संख्या 300 से ज्यादा हो चुकी है। हमास के रॉकेट हमलों में भारतीय महिला सौम्या संतोष (32) की भी मौत हुई है। सौम्या यहां नौकरी करतीं थीं। उनके परिवार में 9 साल का बेटा और पति हैं। भारत में इजराइल के एम्बेसेडर रॉन माल्का ने सौम्या के निधन की पुष्टि करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा- इजराइल आतंकियों के सामने न कभी झुका है, और न झुकेगा।

इजरायल की तरफ से किए गए हमलों में गाजा पट्टी में कई ऊंची इमारते जमींदोज हो गई। इसमें से एक 13 मंजिला बिल्डिंग भी शामिल है। इसमें हमास की पॉलिटिकल विंग का दफ्तर था। एक विटनेस ने कहा कि इजरायल ने कुछ मिनटों में दर्जनों हवाई हमले किए। इसमें पुलिस और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इस दौरान गाजा सिटी के ऊपर गहरे भूरे रंग के धुएं की एक दीवार सी नजर आ रही थी। अब तक गाजा में 10 बच्चों सहित 35  फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। 200 से अधिक लोग घायल हुए है।

यरुशलम में यहूदी और मुस्लिम दोनों के ही पवित्र स्थल हैं। 1967 के अरब-इजरायल युद्ध में इजरायल ने इस पर कब्जा कर लिया था। यरुशलम को इजरायल अपनी अविभाजित राजधानी मानता है। जबकि फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भावी राष्ट्र की राजधानी मानते हैं। ये इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं देते हैं। इनका मानना है कि यहूदी मुल्क ने फिलिस्तीनी लोगों की जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है। ये शहर सिर्फ धार्मिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है।

इजरायली क्यों मानते हैं इसे पवित्र स्थल?
यहूदी इलाके में ही कोटेल या पश्चिमी दीवार है। ये वॉल ऑफ दा माउंट का बचा हिस्सा है। माना जाता है कि कभी यहूदियों का पवित्र मंदिर इसी स्थान पर था। इस पवित्र स्थल के भीतर ही द होली ऑफ द होलीज या यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान था। यहूदियों का विश्वास है कि यही वो स्थान है जहां से विश्व का निर्माण हुआ। आज पश्चिमी दीवार वो सबसे नजदीक स्थान है जहां से यहूदी होली ऑफ द होलीज की अराधना कर सकते हैं। यहां हर साल दुनियाभर से दसियों लाख यहूदी पहुंचते हैं और अपनी विरासत के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं।

पवित्र दीवार

मुस्लमान क्यों मानते हैं पवित्र स्थल?
यहां पर एक पठार पर डोम ऑफ द रॉक और मस्जिद अल अक्सा स्थित है। इसे मुस्लिम हरम अल शरीफ या पवित्र स्थान कहते हैं। मस्जिद अल अक्सा इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर मोहम्मद ने मक्का से यहां तक एक रात में यात्रा की थी और यहां पैगंबरों की आत्माओं के साथ चर्चा की थी। यहां से कुछ कदम दूर ही पवित्र पत्थर भी है। मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद ने यहीं से जन्नत की यात्रा की। मुसलमान हर दिन हजारों की संख्या में इस पवित्र स्थल में आते हैं और प्रार्थना करते हैं। रमजान के महीने में जुमे के दिन ये तादाद बहुत ज्यादा होती है।

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Created On :   12 May 2021 5:01 AM GMT

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