पाकिस्तान ने 3 दशक बाद पहली बार लश्कर आतंकी का शव स्वीकार किया
- कभी पाक ने अपने सैनिकों के शव लेने से इनकार किया था
डिजिटल डेस्क, जम्मू। पाकिस्तानी सेना ने तीन दशक से अधिक समय में पहली बार लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक आतंकवादी के शव को स्वीकार किया है। पाकिस्तान ने माना कि यह आंतकी उसके देश का नागरिक था।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली के सब्जकोट गांव का 32 वर्षीय तबारक हुसैन का शव पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर चाकन दा बाग क्रॉसिंग पॉइंट पर पाकिस्तानी समकक्षों को सौंप दिया गया है।
सिविल और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में शव को पाक्स्तिान को सौंपा गया। हुसैन की दो दिन पहले राजौरी सेना अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी।
पिछले महीने 21 अगस्त को राजौरी के नौशेरा सेक्टर से में एलओसी पर घुसपैठ करने की कोशिश करते हुए पकड़ा था। इस दौरान उसे पैर और कंधे पर गोली लग गई थी। सुरक्षाबलों ने उसे अस्पताल भर्ती करवाया, जहां उसका ऑपरेशन किया गया। सैनिकों ने उसकी जान बचाने के लिए तीन यूनिट रक्तदान भी किया।
तबारक हुसैन ने सैन्य अस्पताल में बताया कि उसे और फिदायीन दस्ते को भारतीय सेना पर हमले के लिए भेजा गया था। हमें इसके लिए पैसे और चार से पांच बंदूकें दी गई थीं। 2016 में भी हुसैन को उसके भाई हारून अली के साथ उसी सेक्टर में पकड़ा गया था। अगले साल उसे वाघा-अटारी सीमा के माध्यम से मानवीय आधार पर स्वदेश भेजा गया।
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों के शवों को स्वीकार करने से हमेशा इनकार किया है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी, पाकिस्तान ने भारतीय सेना से लड़ते हुए मारे गए अपने नियमित सैनिकों के शवों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   6 Sept 2022 9:00 AM IST