17 लाख की आबादी पर ज्वालामुखी विस्फोट का असर, अब तक 109 लोगों की मौत
- अभी तक सिर्फ 28 मृतकों की पहचान
- तीन दिन का राष्ट्रीय शोक
- सौ साल बाद हुआ है इतना भयानक विस्फोट
डिजिटल डेस्क, ग्वाटेमाला । ग्वाटेमाला के फयूगो ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट होने के बाद से अब तक 109 लोगों के मारे जाने और करीब 200 लोगों के लापता होने की सूचना है। प्रभावित इलाकों से 10 और शव मिलने के बाद आंकड़ा बढ़ा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेस से मिली जानकारी के मुताबिक बरामद 7 शवों को एसकुइनटला डिपार्टमेंट के हुनाफू गांव के मुर्दाघर भेजा गया है, जबकि 3 को ग्वाटेमाला सिटी के मुर्दाघर भेज दिया गया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेस (आईएनएसीआईएफ) के मुताबिक गुरुवार को दो और लोगों की मौत हो गई है। जिसमें एक आठ साल का बच्चा और एक महिला है। अब तक केवल 28 लोगों की पहचान हो पाई है।
ग्वाटेमाला के आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता डेविड डी लियोन ने गुरुवार को कहा कि खराब मौसम के कारण बचाव और राहत कार्यों में राहतकर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
राहत एंजेसियों के आंकड़ों के अनुसार, ज्वालामुखी में विस्फोट और निरंतर ज्वालामुखी गतिविधि के कारण अब तक 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। 12,407 लोगों को बचाया गया है, जबकि 7,393 को अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया है। कुल 4,137 लोग अस्थाई आश्रयों में रह रहे हैं, जबकि 197 लोग लापता और 58 लोग घायल हैं।
ज्वालामुखी से निकली राख आसमान में कई किलोमीटर ऊपर तक उछली और राजधानी ग्वाटेमाला सिटी में लोगों और चीज़ों पर गिरी है। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद सर्वाधिक प्रभावित इलाकों चिमाल्टेनेंगो, सेकाटेपेकेज, इस्कुइंतला में आपातकाल घोषित किया गया है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा के लिहाज़ से मास्क पहनने की हिदायत दी गई है।
ज्वालामुखी के फटने पर लाल-गर्म चट्टानों और गैस का मिश्रण, जिसे पायरोक्लास्टिक फ्लो भी कहा जाता है, पहाड़ से निकलकर बहता हुआ आस-पास के इलाकों में फैल गया। जिससे घरों में बैठे कई लोग इसमें जलकर मारे गए। सैंकड़ों लोग घायल भी हुए हैं और कई अब भी लापता हैं।
100 साल से भी ज़्यादा वक्त बाद ग्वाटेमाला में ऐसा भयानकर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है। ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति ने तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। प्रभावित इलाकों के लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर अस्थाई राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
Created On :   8 Jun 2018 4:17 PM IST