नामीबिया के लाए गए चीतों के लिए क्यों चुना गया कूनो नेशनल पार्क? छत्तीसगढ़ के इतिहास से जुड़े हैं इसके तार!
- मैदानी इलाकों को चीतों के रहने के लिए उपयुक्त माना जाता है
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। पिछले कई दिनों से सुर्खियों में बने हुए नामीबिया के चीतों को आखिरकार पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया है। इसी के साथ मप्र के श्योपुर में 748 वर्ग किलोमीटर में फैला कूनो पालपुर नेशनल पार्क 8 अफ्रीकी चीतों का नया घर बन जाएगा। लेकिन यहां यह भी उठ रहा है कि भारत में इतनी खास-खास जगह होने के बावजूद इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में ही क्यों छोड़ा गया है?
ये है दिलचस्प इतिहास
श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ के कोरिया में मौजूद साल के वनों जैसा दिखता है। दरअसल, असली एशियाई चीता आखिरी बार कोरिया में करीब 70 साल पहले देखा गया था। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1948 में कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने चीतों की नस्ल देश से खत्म कर दी थी। इस बात की घोषणा 1952 में सरकार ने खुद की थी। बताया जाता है कि राजा रामानुज ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में आखिरी तीन चीतों का शिकार किया था।
मैदानी इलाका है अनुकूल
भारत के मैदानी इलाकों को चीतों के रहने के लिए उपयुक्त माना जाता है। हालांकि, इन चीतों को लाने से पहले देश के कई इलाकों पर विचार किया गया। इस दौरान 2010 और 2012 के बीच मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में दस जगहों का सर्वेक्षण किया गया था। इसके बाद पाया गया कि मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में बना कूनो राष्ट्रीय उद्यान ही चीतों के लिए सबसे सही, सुरक्षित अनुकूल स्थान है। इसे भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) द्वारा जलवायु, शिकार के लिए पर्याप्त जानवर, शिकारियों की आबादी और ऐतिहासिक सीमा के आधार पर एक आकलन कर चीतों के लिए सबसे अच्छे स्थान के रूप में माना गया।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कूनो नेशनल पार्क में 21 चीते रह सकते हैं। अगर 3,200 वर्ग किलोमीटर में ठीक से मैनेजमेंट किया जाए, तो 36 चीते यहां एक साथ रह सकते हैं और पूरे मजे से शिकार कर सकते हैं। ज्यादातर चीतल कूनो नेशनल पार्क में पाए जाते हैं, जिनका शिकार करना चीतों को पसंद आएगा। बता दें, चीतल एक हिरण प्रजाति है, जिसका शिकार करने में चीतों, बाघों और शेरों को मजा आता है। पहले कूनो नेशनल पार्क में करीब 24 गांव थे, जिन्हें समय रहते दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया। उन्हें कूनो नेशनल पार्क के पूरी तरह से संरक्षित 748 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की सीमाओं के बाहर भेजा गया था।
Created On :   17 Sept 2022 1:22 PM IST