साझा अंतरिक्ष मिशन: अब अंतरिक्ष में भी रूस-चीन हुए एक, चांद पर इस काम के लिए मिलाया हाथ, अमेरिका के उड़े होश!

अब अंतरिक्ष में भी रूस-चीन हुए एक, चांद पर इस काम के लिए मिलाया हाथ, अमेरिका के उड़े होश!
  • चांद पर इस मिशन के लिए आगे आए रूस और चीन
  • चांद पर बेस का होगा निर्माण
  • 2035 तक पूरा होगा संयुक्त मिशन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरिक्ष की दुनिया में रूस और चीन एक बड़ा इतिहास रचने जा रहे हैं। दरअसल, दोनों देश साथ मिलकर चंद्रमा पर परमाणु रिएक्टर का निर्माण करने वाले हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा मिशन होने वाला हैं, जिसकी कल्पना अब तक किसी भी देश ने नहीं की है। इस मिशन का लक्ष्य चांद पर रिएक्टर के जरिए बिजली उत्पादन करना होगा। ऐसे में अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के रूस और चीन के संयुक्त मिशन से होश उड़ने वाले हैं।

2035 तक पूरा होगा मून मिशन

इस बारे में रूसी की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने आधिकारिक तौर पर ऐलान किया है। जिसमें कहा गया है कि साल 2035 तक रूस और चीन चांद पर ऑटोमैटिक परमाणु रिएक्टर को स्थापति करने के लिए काम करेंगे। इस मिशन के तहत चांद के बेस पर प्रस्तावित रिएक्टर की मदद से बिजली पैदा की जाएगी। साथ ही, इस रिएक्टर को रूस और चीन एक साथ संचालित भी कर पाएंगे।

रूस और चीन साल 2035 तक करेंगे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए साल 2021 में चीन की सीएनएसए और रूस के रोस्कोसमोस अंतरिक्ष एजेंसी ने हाथ मिलाया है। तब चीनी स्पेस एजेंसी ने इस बारे में खुलासा किया था कि वह चांद पर एक बेस निर्माण की योजना तैयार कर रहे हैं। इस बेस का नाम अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (आईएलआरएस) बताया गया था। इसके साथ यह भी बताया गया था कि चंद्रमा पर यह अंतरराष्ट्रीय बेस सभी देशों के लिए खुला रहेगा। लेकिन, अमेरिका के चीन और रूस से खराब रिश्तों के चलते संभवता नासा के यात्रियों को यहां जाने की इजाजत नहीं मिलेगी।

रोस्कोमोस के अधिकारी ने दिया बयान

इस पर रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस के महानिदेशक यूरी बोरिसोव ने सरकारी मीडिया से चर्चा की है। जिसमें बताया गया, "आज हम अपने चीनी सहयोगियों के साथ मिलकर चंद्रमा की सतह पर एक इलेक्ट्रिसिटी यूनिट स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं, जो संभवत: 2033-2035 तक पूरा हो जाएगा।" संयुक्त मिशन को लेकर बोरिसोव ने कहा कि चंद्रमा पर इंसानों की मौजूदगी के बिना रिएक्टर का संचालन करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। जिसके मद्देनजर महत्वपूर्ण तकनीकी समाधान पूरी तरह तैयार हैं।

इसे लेकर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक खबर छापी है। इसमें बताया गया है कि चंद्रमा पर बेस निर्माण के नजरिये से रोस्कोस्मोस जरूरी मटेरियल भेजने की तैयारी कर रहा है। इसे पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर परमाणु-संचालित रॉकेटों के इस्तेमाल पर चर्चा की जा रही है। हालांकि, स्पेस एजेंसी इस बात को लेकर संशय में हैं कि वह इन अंतरिक्ष यान का निर्माण सकुशल तौर पर कैसे कर सकेगी।

2023 में रूस का मून मिशन रहा असफल

गौरतलब है कि चंद्रमा पर अब तक चीन और रूस से किसी भी इंसान की सफल लैंडिंग नहीं हो पाई है। दोनों देशों के पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो यह मिशन काफी चुनौतीपूर्ण होगा। बता दें, साल 2023 में 47 वर्षों बाद रूस ने पहला मून मिशन लॉन्च किया था, जो असफल साबित रहा था। रूसी मिशन में लूना-25 का लैंडर चांद पर लैंडिग करते समय क्रैश कर गया था।

Created On :   11 March 2024 1:23 PM GMT

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