पाकिस्तान सरकार नागरिकों पर सैन्य मुकदमा चलाने के पक्ष में

पाकिस्तान सरकार नागरिकों पर सैन्य मुकदमा चलाने के पक्ष में
  • पीटीआई के कई नेताओं मे पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
  • देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला बताया है।

डिजिटल डेस्क,इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों को निशाना बनाकर की गई हिंसा और बर्बरता की घटनाओं में शामिल नागरिकों पर सैन्य मुकदमा चलाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए इसे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला बताया है।

सरकार की तरफ से पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेना के खिलाफ हिंसा और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला था, इसलिए यह देश की सुरक्षा, हितों तथा रक्षा के लिए हानिकारक था। इस वजह से सीक्रेट सर्विस एक्ट और पाकिस्तान सेना अधिनियम के तहत सैन्य अदालतों में दोषियों पर मुकदमा चलाने का निर्णय लिया गया।

सरकार ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) मंसूर अवान के माध्यम से कहा, ''ऐसे हमलों के संबंध में डर पैदा करने के लिए, हमारा संवैधानिक ढांचा ऐसी बर्बरता और हिंसा के अपराधियों पर सेना अधिनियम 1952 के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देता है।

सरकार ने 9 मई की हिंसा को आतंकवाद से संबंधित घटनाओं और शकील अफरीदी और कुलभूषण यादव से जुड़ी अतीत की घटनाओं से भी जोड़ा। सरकार ने इस बात पर जोर देते हुए कि हाल की घटनाएं 'पाकिस्तान के सशस्त्र बलों और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने के उद्देश्य से देश में अस्थिरता फैलाने में विदेशी शक्तियों की भागीदारी' को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

इन परिस्थितियों में, सशस्त्र बलों के साथ-साथ सैन्य कर्मियों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा के आरोपियों पर सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाना पाकिस्तान के मौजूदा संवैधानिक ढांचे के अनुसार एक सही प्रतिक्रिया है।

सरकार ने शीर्ष अदालत से इसके औचित्य पर विचार करने और 9 मई के दंगों और बर्बरता के संबंध में नागरिकों के सैन्य मुकदमे के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज करने का आह्वान किया।

9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो द्वारा इस्लामाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तार किया गया था, जिससे उनके समर्थक गुस्से में सड़कों पर उतर आए। उनके समर्थकों ने रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय, लाहौर में कोर कमांडर निवास उर्फ जिन्ना हाउस, पेशावर में रेंजर्स मुख्यालय और देश के विभिन्न शहरों में अन्य स्थानों सहित सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर आक्रामक और हिंसक विरोध प्रदर्शन किया।

खान ने उस दिन अदालत की सुनवाई के लिए रवाना होने से पहले एक वीडियो बयान जारी किया था। जिसमें सैन्य प्रतिष्ठान को चेतावनी दी गई थी कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया और सलाखों के पीछे डाला गया तो इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

हिंसा के बाद से सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान ने पीटीआई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जवाबी हमला शुरू कर दिया है, जिसमें तलाशी अभियानों के माध्यम से हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पीटीआई के कई नेताओं मे पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

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Created On :   18 July 2023 8:15 PM IST

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