ताइवान: उपराष्ट्रपति सियाओ बी खिम ने यूरोपीय संघ की संसद को किया संबोधित, चीन ने जताई आपत्ति

उपराष्ट्रपति सियाओ बी खिम ने यूरोपीय संघ की संसद को किया संबोधित, चीन ने जताई आपत्ति
यूरोपीय संघ की संसद को ताइवान सरकार के शीर्ष नेता उपराष्ट्रपति सियाओ बी खिम ने पहला भाषण है। चीन की सरकार ने इसके प्रति कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीन ने चेतावनी देते हुए यूरोपीय संघ से एक चीन की नीति का पालन करने को कहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ताइवान सरकार के शीर्ष नेता उपराष्ट्रपति सियाओ बी खिम ने यूरोपीय संघ की संसद को पहली बार संबोधित किया। यह ताइवान सरकार के किसी भी शीर्ष नेता का किसी विदेशी संसद में दिया गया पहला भाषण है। चीन ने सियाओ के भाषण पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीन ने चेतावनी देते हुए यूरोपीय संघ से एक चीन की नीति का पालन करने को कहा है। यूरोपीय संघ में चीन के दूतावास ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा चीन के कड़े विरोध और गंभीर आपत्तियों के बावजूद, यूरोपीय संसद ने सियाओ जैसी प्रमुख ताइवानी अलगाववादी नेता को शामिल होने और यूरोपियन संसद की इमारत में एंट्री दी।

चीनी दूतावास के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि यह काम चीन के मुख्य हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, यह एक-चीन सिद्धांत का भी गंभीर उल्लंघन है। यह चीन के अंदरूनी मामलों में दखल है, और चीन और यूरोपीय संघ के बीच के आपसी राजनीतिक भरोसे को कमजोर करता है।

आपको बता दें चीन ताइवान को अपना पार्ट मानता है। यूरोपीय संघ भी एक चीन सिद्धांत का समर्थक रहा है, लेकिन अब ताइवान की उपराष्ट्रपति का यूरोपीय संघ की संसद को संबोधित करना एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सियाओ ने ब्रसेल्स में इंटर-पार्लियामेंट्री अलायंस ऑन चाइना (IPAC) के 2025 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।

ताइवानी उपराष्ट्रपति ने यूरोपीय संसद में दिए अपने भाषण में ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की, और चेताया कि चीन मौजूदा स्थिति को बदलने की कोशिशें कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय सहमति के खिलाफ हैं। ताइवान के सिर्फ एक यूरोपीय देश वेटिकन से आधिकारिक कूटनीतिक संबंध हैं, लेकिन वेटिकन यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है। सियाओ बी खिम ने कहा कि, 'एक फलता-फूलता लोकतंत्र और वैश्विक सप्लाई चेन में एक मुख्य खिलाड़ी के तौर पर ताइवान की भूमिका इसे इंटरनेशनल स्थिरता और समृद्धि के लिए जरूरी है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'हम सिर्फ ज़िंदा नहीं रहना चाहते, हम चाहते हैं कि लोकतंत्र फले-फूले। हमारे पास जो है, हम सिर्फ उसकी रक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम ऐसा भविष्य बना रहे हैं जैसा हम चाहते हैं, जहां लोग आजादी के साथ रह सकें और ज्यादा एकजुट और ज्यादा काबिल हों।'



Created On :   9 Nov 2025 1:47 PM IST

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