कंगाल पाकिस्तान का महंगाई ने किया बुरा हाल, दुनिया का सबसे महंगा आटा खरीदने को मजबूर हुए लोग, इस वजह से आसमान छू रही कीमतें

कंगाल पाकिस्तान का महंगाई ने किया बुरा हाल, दुनिया का सबसे महंगा आटा खरीदने को मजबूर हुए लोग, इस वजह से आसमान छू रही कीमतें
चीनी की कीमतें भी छू रहीं आसमान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मौजूदा समय में पाकिस्तान अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। हाल ही में विश्व मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से लोन की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान में महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला कराची समेत अन्य शहरों में आटे की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है। यहां के लोग दुनिया का सबसे ज्यादा महंगा आटा खरीदने को मजबूर हैं। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची में 1 किलो आटा 160 रुपए में बिक रहा है।

रिपोर्ट में पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स के हवाले से बताया गया है कि, वर्तमान में कराची शहर में 20 किलो आटे का पैकेट 32 सौ रुपये में मिल रहा है। ये कीमत पाकिस्तान के इस्लामाबाद और पंजाब से भी ज्यादा है। इस्लामाबाद में आटे की कीमत जहां 106 रुपये प्रति किलो है तो वहीं पंजाब में 133 रुपये प्रति किलो है। दिन-प्रति-दिन बढ़ रही कीमतों से सबसे ज्यादा तकलीफ में पाकिस्तान की जनता है, जिन्हें इतना महंगा आटा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

लगातार बढ़ रही कीमतें

कराची के अलावा अन्य शहरों में भी 20 किलो आटे की थैली में बढ़ोतरी देखी गई है। हैदराबाद में 20 किलो आटे का बैग 140 रुपये से बढ़कर 3040 रुपये में मिल रहा है। वहीं सियालकोट में 200, रावलपिंडी में 133 और खुजदार 300 रुपये तक 20 किलो की आटे की थैली में बढ़ाए गए हैं।

चीनी की कीमतें भी बढ़ी

आटे के जैसे ही चीनी की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। यहां के कई शहरों में चीनी की कीमतें भी खुदरा बाजार में बढ़कर 160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। वहीं थोक बाजार में इसकी कीमत 137 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। देश के बड़े शहरों जैसे कराची में शक्कर की कीमत 150 रुपये प्रति किलो और लाहौर में 145 रुपये प्रति किलो तक है।

बता दें कि हाल ही में आई इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट में पाकिस्तान के कराची को दुनिया के सबसे कम रहने लायक शहरों की सूची में शामिल किया गया है। ग्लोबल लिवेबिलटी इंडेक्स 2023 में दुनिया के 173 देशों में से पाकिस्तान का नंबर 169वां है। उससे नीचे केवल लागोस, अल्जीयर्स, त्रिपोली और दमिश्क जैसे शहर हैं। इस इंडेक्स में शहरों को स्थान उनके एजुकेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कल्चर, पर्यावरण और हेल्थ संबंधी सर्विसेज के आधार पर दिया जाता है।

क्यों बने ऐसे हालात?

पाकिस्तान के मौजूदा हालातों के लिए भले ही वहां की केंद्रीय और प्रांतीय सरकारें एक दूसरे की नीतियों को दोषी ठहरा रही हों। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश में आटे के संकट की तीन बड़ी वजहें हैं। पहली रूस-यूक्रेन जंग, दूसरी पिछले साल की बाढ़ और तीसरी अफगानिस्तान सीमा पर गेहूं की तस्करी।

दरअसल पाकिस्तान अपनी जरूरत का गेहूं देश में पैदा नहीं कर पाता, इसलिए वह इसका आयात रूस और यूक्रेन से करता है। ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी (OEC) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में यानी रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले पाकिस्तान ने 1.01 बिलियन डॉलर मूल्य का गेहूं आयात किया। जिसमें सबसे अधिक 496 मिलियन डॉलर की कीमत का गेंहूं यूक्रेन से तो वहीं 394 मिलियन डॉलर कीमत का गेंहू रूस से आयात किया गया था। 2022 में रूस और यूक्रेन की बीच युद्ध शुरू हो गया जिस वजह से वहां से गेंहूं का आयात होना बंद हो गया।

दूसरी वजह 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ है। पाकिस्तान योजना आयोग के अनुसार, बाढ़ के चलते कृषि और इसके जुड़े क्षेत्रों को 3.725 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित सिंध व बलूचिस्तान के प्रांत हुए हैं। यहां आटे की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुए है, उसका कारण यह है कि यहां बने गेंहूं के भंडार बाढ़ के चलते नष्ट हो चुके हैं।

तीसरा और सबसे बड़ा कारण अफगानिस्तान में गेंहूं की तस्करी। दरअसल, पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान के साथ पोरस बॉर्डर शेयर करता है। यहां के लोग मुनाफा ज्यादा कमाने की लालच में अपने गेंहूं की अफगानिस्तान में तस्करी करते हैं।

Created On :   17 July 2023 9:23 AM GMT

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