रिश्ते में दरार!: भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ रहा तनाव, चटगांव के मिरसराय में भारतीय इकोनॉमिक जोन पर सवाल

- भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ रहा तनाव
- मिरसराय में भारतीय इकोनॉमिक जोन पर सवाल
- दोनों देशों के बीच व्यापारिक पाबंदियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। इस बीच बांग्लादेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (BIDA) के अध्यक्ष आशिक चौधरी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चटगांव के मिरसराय में भारत का कोई इकोनॉमिक जोन मौजूद नहीं है और यह केवल कागजों पर है। हालांकि, 2020 में भारत ने बंगबंधु शेख मुजीब इंडस्ट्रियल सिटी में 900 एकड़ जमीन पर बुनियादी ढांचे के लिए 115 मिलियन डॉलर के लोन को मंजूरी दी थी, जिसका बांग्लादेश ने स्वागत किया था।
BIDA अध्यक्ष का बयान
आशिक चौधरी ने कहा, "मिरसराय इकोनॉमिक जोन का मूल प्लान 33,000 एकड़ का था, जिसे पहले चरण में 10,000-15,000 एकड़ तक सीमित किया गया। हमें इतनी बड़ी जमीन की जरूरत नहीं। बाकी जमीन पर बाद में दो-तीन चरणों में विचार हो सकता है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय इकोनॉमिक जोन सिर्फ कागजी योजना है और इस पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। अगस्त 2024 में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद इस प्रोजेक्ट में कोई प्रगति नहीं हुई।
परियोजना ठप होने की कगार पर
चौधरी ने कहा कि यह परियोजना पूरी तरह रुकी हुई है। उन्होंने चटगांव बंदरगाह को बांग्लादेश, दक्षिण एशिया, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, नेपाल और भूटान के लिए महत्वपूर्ण बताया। लेकिन, मोहम्मद यूनुस की चीन को लेकर की गई टिप्पणी और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित बयान ने दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी ला दी है।
दोनों देशों के बीच व्यापारिक पाबंदियां
भारत ने हाल ही में बांग्लादेश से रेडीमेड गारमेंट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, स्नैक्स, कपास और सूती धागे जैसे सामानों के आयात पर भारतीय लैंड पोर्ट्स के जरिए प्रतिबंध लगा दिया। जवाब में बांग्लादेश ने भी भारत से धागे के आयात पर जमीनी रास्तों से रोक लगा दी। इन कदमों से दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया है।
मिरसराय इकोनॉमिक जोन पर बांग्लादेश का ताजा रुख और भारत के प्रतिबंधों ने दोनों देशों के रिश्तों में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यह स्थिति क्षेत्रीय सहयोग और व्यापार पर भी असर डाल सकती है।
Created On :   24 May 2025 6:20 PM IST