रूस के इन पड़ोसी देशों को मिलेगी नाटो में जगह, यूक्रेन को लेकर बदले सुर, युद्ध के बाद होगा फैसला

रूस के इन पड़ोसी देशों को मिलेगी नाटो में जगह, यूक्रेन को लेकर बदले सुर, युद्ध के बाद होगा फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के नेतृत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में अब स्वीडन को भी आने वाले कुछ दिनों में मेंबरशिप मिल जाएगा। स्वीडन से लगा देश और रूस के साथ सीमा साझा करने वाला फिनलैंड भी इसी साल नाटो में शामिल हुआ है। इधर, युद्ध के बीच यूक्रेन को नाटो या फिर यूं कहे कि उसके करीबियों से बड़ा झटका लगा है। नाटो में संयुक्त नेताओं की बैठक में माना जा रहा था कि इस बार यूक्रेन को नाटों की सदस्यता मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नाटो के इस रूख से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की नाराज है। हालांकि, संगठन के प्रमुख नेताओं ने कहा कि यूक्रेन को अभी नाटो में शामिल करने में वक्त लगेगा। चर्चा हो रही है। लेकिन यूक्रेन को संगठन में कब शामिल किया जाएगा। इसके बारे में अभी कुछ कह नहीं सकते हैं। इसके बाद जेलेंस्की ने ट्वीट कर यूक्रेन को नाटो में आमंत्रित नहीं करने और उसकी सदस्यता के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं किए जाने को 'अभूतपूर्व और बेतुका' बताया है।

इसके बाद नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि यूक्रेन को पहले रूस के खिलाफ युद्ध जीतने में दिलचस्पी दिखानी चाहिए, जब यूक्रेन अस्तिव मे रहेगा, तभी तो वह सदस्यता के लिए तैयारी होगा। तभी जाकर सदस्यता पर भी बातचीत का कोई मतलब निकलेगा। हालांकि इसके पहले नाटो महासचिव ने कहा था कि संगठन में शामिल सभी नेता यूक्रेन को नाटो में शामिल करने पर तैयार हुए हैं। संगठन में शामिल सहयोगी देशों में रजामंदी और शर्तें पूरी होंगी, तब जाकर यूक्रेन को हम इस समूह का हिस्सा बनाने के लिए तैयार हो पाएंगे।

आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यूक्रेन नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है? नाटो की सदस्यता लेने से यूक्रेन को क्या फायदा होगा? साथ ही नाटो काम कैसे करता है और इसका उद्देश्य क्या है?

क्या है नाटो का मेन मोटिव ?

नाटो में अभी कुल 31 देश शामिल हैं। वहीं, स्वीडन इस संगठन का हिस्सा बनने वाला 32वां देश होगा। पहले नाटो में स्वीडन की एंट्री के लिए तुर्कीये विरोध कर रहा था, लेकिन अब उसने भी मंजूरी दे दी है। जल्दी ही स्वीडन भी इस ग्रुप का हिस्सा होगा। फिलहाल इस संगठन में शामिल देश का मेन मोटिव रूस के खिलाफ एकजुटता दिखाने की कोशिश है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश इस समूह को मजबूती दे रहे हैं।

इस समय नाटो में शामिल देश रूस के साथ करीब 25,00 किलोमीटर सीमा साझा करता है। बता दें कि, फिनलैंड इसमें से अकेले 1,300 किलोमीटर सीमा साझा करता है। स्वीडन और फिनलैंड जैसे देशों की मजबूरी हो गई थी कि उसे नाटो में शामिल होना पड़ा, क्योंकि अगर युद्ध का माहौल होगा तो रूस सबसे पहले इन देशों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर देगा। इसलिए ये सभी देश रूस के खिलाफ होकर नाटो में शामिल हो रहे हैं। जैसा आप नक्शे में देख सकते हैं। इस संगठन में अब स्वीडन भी नया देश शामिल हो जाएगा।


नाटो का नियम

नाटो संगठन की स्थापना सन 1949 में हुई थी, उस समय इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, नॉर्वे नीदरलैंड, पुर्तगाल, इटली, कनाडा आइसलैंड समेत लग्जमबर्ग जैसे देश शामिल थे। इसके बाद इसका लगातार विस्तार होता गया। 1952 में इसमें तुर्की और ग्रीस की एंट्री हुई थी। इसके बाद जर्मनी को 1955 में इसका हिस्सा बना लिया गया। अब इस संगठन में कुल 31 देश मौजूद है। स्वीडन के शामिल होने से नाटो का कुनबा 32 देशों का हो जाएगा। रूस नाटो को हमेशा से ही अपने लिए खतरा मानता आया है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि रूस के कई पड़ोसी देश इस संगठन का हिस्सा हैं।

रूस इस संगठन को अपने लिए खतरा के तौर पर इसलिए भी देखता है, क्योंकि नाटो का नियम है। अगर कोई देश संगठन में शामिल देश के खिलाफ हमला करता है तो फिर नाटो में शामिल सभी देश उस देश के खिलाफ जंग छेड़ देते हैं। इसके अलावा जो देश नाटो में शामिल होते हैं, उसे संगठन हथियार मुहैया करवाता है। साथ ही नाटो में शामिल होने वाले देश को संगठन के सदस्यीय देश उस देश की सीमा सुरक्षा भी करते हैं। इसका मतलब यह है कि सदस्यता वाले देश को नाटो के साथ सीमा भी साझा करना पड़ता है। इसी बात से रूस नाराज है, क्योंकि उसे डर है कि कहीं नाटो उसके पड़ोसी देश के साथ मिलकर उनके खिलाफ साजिश न कर दें। इसी को आधार बनाकर रूस ने यूक्रेन के खिलाफ भी हमला बोला है। यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता था, इस बात की भनक रूस को लगी। जिसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया। बता दें कि, यूक्रेन रूस के साथ बहुत बड़ी सीमा साझा करता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग रोकने की एक शर्त रखी थी कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा, तभी वह युद्ध पर विराम लगाएगा। हालांकि अभी तक ने जेलेंस्की इस समझौते को स्वीकार नहीं किया है। वजह अभी तक जंग जारी है।

नाटो में शामिल रूस के पड़ोसी देश

इस समय नॉर्वे, लाटविया, लाटविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और पोलैंड ये सभी ऐसे देश हैं जो नाटो में शामिल है। साथ ही, ये सभी देश रूस से भी सीमा साझा करते हैं। इन सभी देशों पर भी रूस के तरफ से खतरे की घंटी बज चुकी है।


अब नाटो का सदस्य बनेगा स्वीडन और फिनलैंड पहले से ही नाटो का सदस्य



Created On :   12 July 2023 1:24 PM GMT

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