Trump Tariff Controversy: 'अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ रहे राष्ट्रपति', अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप टैरिफ को बताया असंवैधानिक, लगाई रोक

- अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर रोक लगाई
- कोर्ट ने दो मुकदमों के आधार पर दिया फैसला
- ट्रंप ने 2 अप्रैल को किया था नए टैरिफ का ऐलान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप ने अपनी संवैधानिक ताकतों का गलत इस्तेमाल किया और संविधान के दायरे से बाहर निकलकर टैरिफ लगाया।
मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने ट्रंप टैरिफ को गैर-कानूनी ठहराते हुए कहा कि उन्होंने आईईईपीए यानी टरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट गलत यूज किया। कोर्ट ने कहा कि ये कानून राष्ट्रपति को इमरजेंसी में कुछ खास शक्तियां देता है लेकिन उन्होंने इसे बिना किसी ठोस आधार के इस्तेमाल किया।
कोर्ट ने कहा, 'राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ट्रेड पार्टनर्स से इंपोर्ट पर बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाया है। अमेरिकी संविधान संसद को दूसरे देशों के साथ केवल व्यापार को रेगुलेट करने का विशेषाधिकार देता है। इसका मतलब यह नहीं कि राष्ट्रपति इकोनॉमी का हवाला देकर अपने इमरजेंसी पावर से कुछ भी करें।'
बता दें कि फेडरल कोर्ट ने दो मुकदमों के आधार पर अपना फैसला दिया है। पहला मुकादमा लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने 5 छोटे अमेरिकी बिजनेसेज की ओर से मुकदमा दायर किया था, जो इन टैरिफ के चलते प्रभावित हो रहे थे। इसके साथ ही 12 अमेरिकी आयातकों ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इनकी ओर से तर्क दिया गया था कि राष्ट्रपति के नए टैरिफ नियमों के चलते व्यवसायों खासकर छोटे स्तर वालों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने इसका कारण बताया कि इम्पोर्ट सामान की कीमत बढ़ने से उनकी लागत बढ़ रही थी। कोर्ट ने दोनों दलीलों को सही मानते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पास इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
वहीं कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन की ओर से अपील करने की बात कही गई है। ट्रंप की ओर सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि उनकी टैरिफ नीति “अमेरिका को फिर से महान बनाने” के लिए जरूरी थी।
ट्रम्प ने कई देशों पर टैरिफ लगाया था
दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रम्प ने 2 अप्रैल को ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और उन देशों को सबक सिखाया जाएगा जो अमेरिका से सामान कम खरीदते हैं और उसे बेचते ज्यादा हैं।
Created On :   29 May 2025 6:27 PM IST