दुनियाभर में ट्रांसप्लांट के लिए अंग पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई गंभीर बीमारियों में तो अगर ट्रांसप्लांट सफल न हो, तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। जर्मन हर्ट सेंटर बर्लिन के डॉक्टर क्रिस्टोफ नोसाला का कहना है, 2030 तक अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने के मामले 80 लाख तक पहुंच सकते है। जीन में बदलाव वाला सुअर इस समस्या का समाधान हो सकता है।
इस तरह के शोध में पहले भी सीमित सफलता मिली थी। म्यूनिख में लुडविग-मैक्समिलियन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता लंगूर को 57 दिन तक जीवित रखने में कामयाब रहे थे। शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग समूहों पर ये प्रयोग किया। पूरे अध्ययन के दौरान 16 लंगूर शामिल थे। अंतिम ग्रुप में उन्होंने ट्रांसप्लांट में सफलता पाई। हृदय रोग के प्रोफेसर क्रिस्टोफर मैक्ग्रेगॉर उस अध्ययन में शामिल थे, जिसमें बैबून को 57 दिनों तक जीवित रखा गया था। उन्होंने कहा, 'ये अध्ययन काफी अहम है। ये हमें दिल की बीमारी की समस्या को खत्म करने की राह दिखाता है।'