चीन के चार चिकित्सकों को राष्ट्रीय पदक व राष्ट्रीय मानक उपाधि
बीजिंग, 3 अगस्त (आईएएनएस)। कोविड-19 महामारी की रोकथाम में असाधारण योगदान करने वाले व्यक्तियों को चीन सरकार ने राष्ट्रीय पदक और राष्ट्रीय मानक उपाधि प्रदान करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय श्वसन रोग नैदानिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के प्रमुख चोंग नानशान को राष्ट्रीय पदक प्रदान किया जाएगा।
वहीं थ्येनचिन पारंपरिक चीनी चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रमुख चांग पोली, हुपेई प्रांत के स्वास्थ्य आयोग के उप प्रमुख चांग तिंगयू और सैन्य विज्ञान अकादमी के बायोइंडनियरी संस्थान की प्रमुख छन वेई को राष्ट्रीय मानक की उपाधि दी जाएगी।
राष्ट्रीय पदक और राष्ट्रीय मानक उपाधि चीन के सर्वोच्च सम्मान हैं, जो देश की ओर से असाधारण योगदान करने वाले व्यक्तियों को प्रदान किये जाते हैं। चीनी राष्ट्रपति खुद इन लोगों को सम्मानित करते हैं।
राष्ट्रीय पदक और राष्ट्रीय मानक उपाधि से सम्मानित चार लोग कौन हैं-
चोंग नानशान, क्वांगचो चिकित्सा विश्वविद्यालय के अधीनस्थ पहले अस्पताल के राष्ट्रीय श्वसन रोग नैदानिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के प्रमुख हैं। वे लंबे समय से गंभीर श्वसन संक्रामक रोग और पुरानी सांस की बीमारी के अध्ययन, रोकथाम व इलाज में जुटे हुए हैं और बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद चोंग नानशान ने साहस के साथ उपचार किया और व्यक्ति से व्यक्ति संक्रमित होने का विचार पेश किया। उन्होंने उपचार योजना तय की और महामारी की रोकथाम, गंभीर मरीजों के बचाव व वैज्ञानिक अनुसंधान में असाधारण योगदान किया।
चांग पोली, थ्येनचिन पारंपरिक चीनी चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रमुख हैं। वे लंबे समय से चीनी औषधि पर अध्ययन कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद उन्होंने चीनी और पश्चिमी चिकित्सा को मिलाकर उपचार की योजना बनाई और मरीजों के बचाव में चीनी औषधि के प्रयोग का निर्देश किया, जिससे उल्लेखनीय प्रगति मिली। उन्होंने महामारी की रोकथाम और नियंत्रण में बड़ा योगदान दिया है।
चांग तिंगयू, हुपेई प्रांत के स्वास्थ्य आयोग के उप प्रमुख और वुहान के चिनयिनथान अस्पताल के प्रमुख हैं। वे लंबे समय से चिकित्सा कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कई बार अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा राहत और चीन के वनछ्वान भूकंप राहत कार्य में भाग लिया। 29 दिसंबर 2019 को अज्ञात निमोनिया से ग्रस्त 7 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उन्होंने शीघ्र ही अलगाव वार्ड स्थापित किया और वायरस की जांच शुरू की। चांग तिंगयू एमियोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) से ग्रस्त हैं, लेकिन फिर भी मरीजों के बचाव में जुटे रहे। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों के साथ 2,800 से अधिक मरीजों का इलाज किया और वुहान में महामारी की रोकथाम में बड़ा योगदान किया।
छन वेई, सैन्य विज्ञान अकादमी के बायोइंडनियरी संस्थान की प्रमुख हैं। वे लंबे समय से जैविक खतरे की रोकथाम और नियंत्रण के अध्ययन में जुटे हुई हैं। उन्होंने दुनिया के पहले इबोला टीके का विकास किया। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद उन्होंने शीघ्र ही वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया और टीके व दवा के विकास में बड़ी उपलब्धि हासिल की, जिससे महामारी की रोकथाम और नियंत्रण में बड़ी सफलता मिली।
इन चार व्यक्तियों ने महामारी की रोकथाम में बड़ा योगदान दिया। वे सब कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में हीरो रहे हैं।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
Created On :   3 Aug 2020 8:00 PM IST