भ्रामक विज्ञापन मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुद अदालत पहुंचे बाबा रामदेव, कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार, योग गुरु ने बिना शर्त मांगी मांफी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुद अदालत पहुंचे बाबा रामदेव, कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार, योग गुरु ने बिना शर्त मांगी मांफी
  • पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले पर सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार
  • बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर मांगी माफी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक और योग गुरु बाबा रामदेव कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण के साथ आज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। मामले पर सुनवाई कर रही जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोर्ट के आदेश के विरूद्ध भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन के लिए बाबा रामदेव को जमकर फटकार लगाई। भ्रामक विज्ञापनों के लगातार प्रकाशन पर कोर्ट की अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर उच्चतम न्यायालय ने कड़ी आपत्ति जताई। योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेदिक के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने अपनी गलती मानते हुए सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है।

कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में पेश हुए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेदिक के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को जमकर फटकार लगाई। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट के आदेश पर व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे। जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने पतंजलि के वकील से पूछा कि मामले में पेश दोनों व्यक्ति का हलफनामा कहां है? इस पर बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि दोनों कोर्ट में हाजिर है और माफी मांग ली है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये अदालती कार्यवाही है, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है। माफी अस्वीकार करने की बात के साथ कोर्ट ने कहा कि 21 नवंबर के अदालत के आदेश के बाद भी अगले दिन रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, सिर्फ माफी पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहे थे।

बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर मांगी माफी

कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के बावजूद पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहा था। कोर्ट के आदेश के 24 घंटे के भीतर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए भी एससी ने आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि ये दर्शाता है कि कोर्ट के प्रति आपकी कैसी भावना है। इस पर बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि हम मानते हैं कि हमसे गलती हुई है और हम बिना शर्त माफी मांगते हैं। आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत के समक्ष दिए गए आश्वासन का उल्लंघन करने पर 27 फरवरी को पीठ ने आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी। पीठ में न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी शामिल थे।

क्या है पूरा मामला?

पतंजलि ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पाद की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई बयान नहीं देगा या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगा और किसी भी रूप में मीडिया में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगा। पतंजलि आयुर्वेद ने उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी को लेकर दावा किया था कि इनसे कोरोना का इलाज किया जा सकता है। आयुष मंत्रालय ने इस दावे के बाद कंपनी को फटकार लगाते हुए इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।

दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की थी। योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ कोविड-19 के एलोपैथिक उपचार के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में केस दर्ज है। एक वीडियो में बाबा रामदेव ने कहा था, ''ऑक्सीजन या बेड की कमी से ज्यादा लोग एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से मरे हैं।''

Created On :   2 April 2024 7:43 AM GMT

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