हाईकोर्ट का फैसला: जेल में बंद नेताओं को चुनाव प्रचार की इजाजत देने से इंकार, कहा - 'ऐसे तो दाऊद इब्राहिम भी पार्टी बना लेगा...'

जेल में बंद नेताओं को चुनाव प्रचार की इजाजत देने से इंकार, कहा - ऐसे तो दाऊद इब्राहिम भी पार्टी बना लेगा...
  • जेल में बंद नेता नहीं कर पाएंगे चुनाव प्रचार
  • दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
  • कहा - ईसी को नहीं दे सकते आदेश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जेल में बंद नेताओं को चुनावी प्रचार की इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह मौलिक सिद्धांतो के खिलाफ है क्योंकि याचिका में अदालत से कानून बनाने की मांग की गई है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर जेल में बंद नेताओं को चुनाव प्रचार की इजाजत दे दी जाती है तो कोई भी अपराधी पार्टी बना कर चुनाव लड़ेगा और प्रचार की इजाजत मांगेगा। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा आदेश देना रिस्की होगा। याचिका पर सुनवाई कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन की बेंच ने कहा कि कोर्ट चुनाव आयोग को ऐसा आदेश नहीं दे सकती है।

'दाऊद इब्राहिम भी...'

जेल में बंद नेताओं को चुनाव प्रचार की इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले पर आज बुधवार (1 मई) को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, "ऐसे तो दाऊद इब्राहिम भी पार्टी बना लेगा और चुनाव में उतरेगा क्योंकि वह दोषी नहीं है। हम ऐसे किसी व्यक्ति को प्रचार की इजाजत नहीं दे सकते हैं जो जेल में बंद हो।" कोर्ट ने आगे कहा, "अगर ऐसा हुआ तो सारे रेपिस्ट और मर्डर के आरोपी आचार संहिता लगने से पहले पार्टी बना लेंगे और कैंपेन करेंगे।" दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि यह मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है न कि कोर्ट से इसीलिए इसमें अदालत को शामिल नहीं किया जाए।

'वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार'

याचिकाकर्ता अमरजीत गुप्ता ने कोर्ट से जेल में बंद नेताओं को चुनावी प्रचार करने की इजाजत देने की अपील की थी। याचिका में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल में बंद नेताओं को प्रचार की इजाजत देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की थी कि जब किसी भी नेता या उम्मीदवार की गिरफ्तारी हो तो इसकी सूचना चुनाव तुरंत दी जाए।

अदालत ने अमरजीत गुप्ता पर जुर्माना लगाने की बात कही तो उनके वकील मोहम्मद इमरान अहमद ने बताया कि याचिकाकर्ता कानून के छात्र हैं इसीलिए उन पर जुर्माना न लगाया जाए। इसके बाद कोर्ट ने वकील से कहा कि कानून के छात्र को शक्तियों के बंटवारे की अवधारण और न्यायिक शक्तियों की सीमा के बारे में जरूर बताए।

Created On :   1 May 2024 9:15 AM GMT

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