अल्पसंख्यक दर्जे के मामला: एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई,

एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई,
  • केंद्र सरकार के रुख पर सवाल
  • शीर्ष अदालत ने कानून बदलाव पर सरकार से सवाल
  • शाश्वत और अविनाशी निकाय संसद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर सुनवाई हुई। टॉप कोर्ट ने केंद्र सरकार के रुख पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि संसद में कानून में जो संशोधन किया गया है, सरकार को उसके साथ खड़ा होना चाहिए।

सुको में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की बेंच ने मामले पर सुनवाई की। पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जजों की पीठ ने संविधान के अनुसार संसद को 'शाश्वत' (स्थायी), 'अविभाज्य' (जिसको बंटवारा नहीं हो सकता), 'अविनाशी' (जिसको नष्ट न किया जा सके) निकाय बताया है। संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेश हुए। सीजेआई ने उनसे पूछा, आप संसद द्वारा किए गए एक बदलाव (1981 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन) को कैसे अस्वीकार कर सकते हैं?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने केंद्र के रुख पर हैरानी जताई और कहा कि संसद ने कानून में जो बदलाव किया है, सरकार को उसके साथ खड़ा होना होगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'सॉलिसिटर महोदय, यह संसद भारतीय संघ के तहत एक शाश्वत और अविनाशी निकाय है। भारत संघ के मामले का चाहे कोई भी सरकार प्रतिनिधित्व करती हो, लेकिन संसद शाश्वत, अविभाज्य और अविनाशी है।' उन्होंने आगे कहा, 'हम भारत सरकार को यह कहते हुए नहीं सुन सकते कि संसद ने जो संशोधन किया है, वह उससे सहमत नहीं है। आपको इसके साथ खड़ा रहना होगा।




Created On :   24 Jan 2024 2:49 PM GMT

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