अब शुरू हुआ MenToo कैंपेन, पुरुष बता रहे महिलाओं ने कैसे किया उत्पीड़न
- पंद्रह लोगों के समूह ने शुरू किया MenToo कैंपेन
- फ्रांस के पूर्व राजनयिक भी 15 लोगों के समूह में शामिल
- बेटी से उत्पीड़न के मामले में बरी हुए हैं पूर्व राजनयिक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महिला उत्पीड़न के खिलाफ शुरू हुए MeToo कैंपेन की तर्ज पर अब MenToo कैंपेन की शुरुआत हुई है। इस कैंपेन में उन पुरुषों की आपबीती को सामने रखा जा रहा है, जिनका महिलाओं ने यौन उत्पीड़न किया है। इस कैंपेन की खास बात यह है कि इसमें ज्यादा पुरानी घटनाओं को तवज्जो न देकर हाल ही में हुई घटनाओं को उठाया जा रहा है।
पंद्रह लोगों के समूह द्वारा शुरू किए गए इस कैंपेन में फ्रांस के पूर्व राजनयिक भी शामिल हैं, जिन्हें अदालत ने यौन उत्पीड़न के एक मामले से 2017 में बरी कर दिया था। कैंपेन चला रहे लोगों के समूह ने पुरुषों से अपील की है कि वो अपने साथ हुए यौन शोषण के मामलों को सबके सामने रखें। MenToo कैंपेन की शुरुआत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चिल्ड्रन राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (क्रिस्प) ने शनिवार को की है। क्रिस्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार वी के मुताबिक संगठनन का उद्देश्य तटस्थ लैंगिक कानून की मांग के लिए लड़ना है। उन्होंने मांग की है कि MeToo अभियान का गलत फायदा उठाने वाली महिलाओं को सजा मिलनी चाहिए।
क्रिस्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार वी ने MeToo को अच्छा कैंपेन बताया। उन्होंने यहा भी कहा कि किसी को भी इसमें झूठा इल्जाम लगाकर नहीं फंसाया जाना चाहिए। महिलाओं के एक आरोप से कड़ी मेहनत कर सम्मान अर्जित करने वालों का सम्मान धूमिल हो जाता है। कुमार वी ने MeToo मुद्दे पर कहा कि अगर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के मामले सच हैं तो उन्हें कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए। सोशल मीडिया पर घटना का जिक्र कर न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
कैंपेन के शुभारंभ के मौके पर फ्रांस के पूर्व राजनयिक पास्कल मजूरियर भी मौजूद थे। मजूरियर पर अपनी ही बेटी का यौन शोषण करने का आरोप लगा था, लेकिन 2017 में अदालत ने इस मामले से उन्हें बरी कर दिया। मजूरियर ने कहा कि MeToo के जवाब के रूप में MenToo कैंपने को नहीं देखा जाना चाहिए। इस कैंपने का उद्देश्य उन पुरुषों की समस्याओं को हल करना है, जो महिलाओं के शोषण का शिकार होने के बाद भी आवाज नहीं उठाते हैं।
फ्रांस के पूर्व राजनयिक ने कहा कि पुरुष महिलाओं के शोषण का शिकार होने के बाद भी खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते हैं। पुरुषों के पास तो असली दुख है, वे पीड़ित भी हैं। उन्होंने कहा कि हम हमेशा महिलाओं की सुरक्षा पर कानून बनाने की बात करते हैं। ये अच्छा तो है, लेकिन हमें मानवता का आधा हिस्सा पुरुषों को भी नहीं भूलना चाहिए। इस समय पास्कल पर केस चल रहा है। बेटी से यौन शोषण के मामले में उन्हें बरी करने के खिलाफ उनकी पत्नी कर्नाटक हाईकोर्ट गई थीं। मजूरियर की पत्नी के पास उनके तीन बच्चों का सरंक्षण है।
Created On :   22 Oct 2018 8:26 AM IST