निरंतर सतर्कता से ही रुक सकते हैं हादसे
- नगर पालिकाओं ने पुलों का निरीक्षण और सुरक्षा उपाय किए
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात में हाल ही में मोरबी पुल हादसे के बाद राज्य भर के जिला प्रशासन और नगर पालिकाओं ने पुलों का निरीक्षण और सुरक्षा उपाय किए। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कोई हादसा हो जाने के बाद होने वाली सामन्य कार्रवाई है या प्रशासन वास्तव में गहरी नींद से जाग गया है और नियमित रूप से पुलों का निरीक्षण करने, एहतियाती उपाय करने या समय पर मरम्मत का संकल्प लिया है।
मंगलवार को देवभूमि द्वारका के जिलाधिकारी एमए पंड्या ने गोमती नदी पर बने सुदामा पुल को बंद करने के निर्देश दिए। आईएएनएस से बात करते हुए पंड्या ने कहा, एहतियाती उपाय के रूप मे निरीक्षण के लिए नियमित अंतराल पर पुल को बंद कर दिया जाता है। चूंकि पुल समुद्र तट के पास स्थित है, इसलिए इसमें नट-बोल्ट का क्षरण अक्सर होता है, जिसे समय पर बदलने की आवश्यकता होती है। अधिकारी ने कहा केबल ब्रिज केवल 100 लोगों का वजन सह सकता है, लेकिन त्योहारों में लोगों को रोकना मुश्किल हो जाता है, इसलिए पुल बंद कर दिया जाता है।
साबरमती नदी पर हाल ही में खोले गए अटल ब्रिज पर आगंतुकों को अहमदाबाद नगर निगम द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। हालांकि पुल की भार वहन क्षमता 12 हजार व्यक्तियों की है। लेकिन निगम ने एक घंटे में केवल 3 हजार व्यक्तियों को टिकट जारी कर इसे सीमित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला मोरबी पुल के ढहने के ठीक एक दिन बाद किया गया।
मंगलवार को भावनगर के जिला कलेक्टर डी.के. पारेख ने सड़क एवं भवन विभाग के इंजीनियरों के साथ भावनगर-अहमदाबाद हाईवे को जोड़ने वाले पुराने बंदरगाह पर केबल से बने पुल का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने मीडिया को बताया कि पुल का निर्माण 2012 में हुआ था और 2013 में चालू हुआ। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पुल का नियमित निरीक्षण और रखरखाव करने के निर्देश दिए।
मांडवी नगरपालिका ने भी मंगलवार से रुक्मावती नदी पर बने 125 साल पुराने पुल को पैदल वालों के लिए भी बंद कर दिया। पत्थरों से बने इस पुल में कुछ दरारें आ गई हैं। अप्रैल में मांडवी विधायक वीरेंद्रसिंह जडेजा ने जिला प्रशासन से पुल को पैदल चलने वालों के लिए खुला रखने का अनुरोध किया था, इसलिए इसे सभी के लिए बंद करने की कलेक्टर की अधिसूचना के बाद भी मंगलवार तक इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया। जडेजा ने आईएएनएस को बताया, पुल पर अब भी भारी वाहन चल सकते हैं, केवल ऊपर से निर्देश के कारण इसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
अमरेली जिले के सावरकुंडला निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक प्रताप दुधात ने हाल में उठाए गए कदमों को मात्र औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं बताते हुए कहा कि सूरत में तक्षशिला आग दुर्घटना के बाद इस तरह की त्वरित प्रतिक्रियाएं दिखाई दे रही थीं, जिसमें 12 छात्रों की जान चली गई थी। अगले ही दिन राज्य के सभी प्रमुख शहरों में कोचिंग कक्षाओं को अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए बंद कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में जहरीली शराब की घटना के बाद पुलिस ने शराब के ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन अब शराब फिर से धड़ल्ले से मिलने लगी है।
दुधात का कहना है कि राज्य सरकार यदि लोगों की सुरक्षा के प्रति गंभीर होती तो विभिन्न विभागों में खाली रिक्तियों को भरती, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, जो सरकार की लापरवाही को दर्शाता है। जब सड़क और भवन विभाग में एक साइट अधिकारी के पास दो से तीन अन्य तालुकाओं का प्रभार होगा तो कोई कैसे उम्मीद करता है कि वह सभी साइटों का दौरा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि गुणवत्ता बनाए रखी जाए और मानदंडों का पालन किया जाए।
(आईएएनएस)
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   6 Nov 2022 3:30 PM IST