10 दिन की गौरी को नाम व जिंदगी के बाद अब आशियाने का इंतजार (आईएएनएस विशेष)

After 10 days of Gauris name and life, now waiting for hope (IANS special)
10 दिन की गौरी को नाम व जिंदगी के बाद अब आशियाने का इंतजार (आईएएनएस विशेष)
10 दिन की गौरी को नाम व जिंदगी के बाद अब आशियाने का इंतजार (आईएएनएस विशेष)

गौतमबुद्ध नगर, 5 मई (आईएएनएस)। लोक-लाज के भय से बेरहम-बेहाल कलियुगी मां-बाप लॉकडाउन में सूनी सड़कों पर तौलिये में लपेट कर तपती धूप में चार दिन की मासूम को फेंक गये। बिना कोई नाम दिये हुए ही। यह भी नहीं सोचा कि यह मासूम धूप से तपती सड़क की गर्मी को कैसे बर्दाश्त करेगी? न ही यह सोचा कि, दुधमुंही भूख-प्यास लगने पर तड़पेगी तो, मगर अपनी बात किसी से कह नहीं पायेगी।

कोराना सी महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बीच यह दिल दहला देने वाली घटना सामने आयी है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हाईटेक शहर नोएडा में। सड़क पर लावारिस हाल में मासूम बच्ची पड़ी होने की सूचना पर फेज-3 नोएडा थाना पुलिस और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) श्रद्धा पाण्डेय घटनास्थल पर पहुंच गयीं।

मर्माहत करने वाली इस घटना के बारे में एक एनजीओ के व्यवस्थापक और हाल-फिलहाल मासूम बच्ची का लालन-पालन करा रहे सत्य प्रकाश से आईएएनएस ने विशेष बातचीत की। सत्य प्रकाश के मुताबिक, 28 अप्रैल को शाम करीब सात बजे के आसपास गौतमबुद्ध नगर पुलिस को 112 के जरिये बच्चे के सड़क पर पड़े होने की खबर मिली। चार दिन की बच्ची कपड़ों में लपेट कर पर्थला गोल चक्कर के पास रखी गयी थी।

बच्ची की जिंदगी बचाना बेहद जरूरी था। लिहाजा उसे नोएडा सेक्टर-27 स्थित एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां बच्ची को स्वस्थ्य बताया गया। डॉक्टरों ने बच्ची की उम्र बताई चार दिन। बताते हैं सत्य प्रकाश। चाइल्ड लाइन के कार्यक्रम प्रबंधक सत्य प्रकाश के मुताबिक, फिलहाल चार दिन की लावारिस हाल में मिली वो बच्ची अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन द्वारा हमें देखभाल के लिए दे दी गयी है।

सत्य प्रकाश के मुताबिक, हम लोग बच्ची का लालन-पालन कर रहे हैं। बच्ची को गौरी दिया गया है। गौरी हमारे पास 33वां बच्चा है। गौरी को लावारिस छोड़ कर जाने वाला कौन है? इसकी तलाश में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और पुलिस दिन-रात जुटी है। अब तक हमारे पास गौरी से पहले जो भी 32 ऐसे बच्चे आये हैं, उनमें से किसी भी मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। गौरी का चोरी छिपे इस घिनौने और गैर-कानूनी तरीके से परित्याग करने का यह ऐसा पहला मामला है जिसमें, गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने बाकायदा थाने में एफआईआर दर्ज की है।

उधर आईएएनएस को गौतमबुद्ध नगर पुलिस सूत्रों से पता चला, चार दिन की गौरी को लॉकडाउन के दौरान सूनी सड़कों पर फेंक जाने वालों की तलाश में पुलिस ने दिन रात एक कर रखा है। सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा चुके हैं। पुलिस छानबीन में ही पता चला है कि, गौरी के जन्म के आसपास के संभावित दिनों में गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिले में 53 महिलाओं का प्रसव कराया गया था। इनमें से 25 प्रसव पीड़ा मामलों में अस्पतालों में कोई मोबाइल नंबर दर्ज नहीं मिला है। अब पुलिस इन पते-ठिकानों पर गौरी को इस हाल में फेंकने वालों की तलाश में खाक छान रही है।

बकौल सत्य प्रकाश, बाल कल्याण समिति की डबल बेंच ने गौरी को मथुरा स्थित राज्य सरकार के एडॉप्शन सेंटर में दाखिल करने को कहा है। इसके लिए एंबूलेंस, डॉक्टर-नर्स सबका इंतजाम है। बस मुश्किल यह है कि, अब करीब 10 दिन की मासूम गौरी को गौतमबुद्ध नगर से मथुरा तक कोरोना की इस महामारी में सफर कराना शायद बाजिव नहीं होगा। लिहाजा जैसे ही कोरोना का कहर कम होता है। गौरी को उनके आशियाने (मथुरा स्थित एडाप्शन सेंटर) में पहुंचा दिया जायेगा। फिलहाल मंगलवार को गौरी का नियमित होने वाला अनिवार्य टीकाकरण करवा दिया गया है।

आईएएनएस के एक सवाल के जबाब में सत्य प्रकाश ने कहा, अब तक गौरी को गोद लेने के लिए हिमाचल, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकता, मध्य प्रदेश सहित तमाम स्थानों से 60 से ज्यादा कॉल्स आ चुके हैं। जब तक गौरी 60 दिन की नहीं हो जायेगी। तब तक हम किसी को भी गौरी को नहीं सौंप सकते। कारा यानि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की यही गाइड लाइन भी हैं।

-- आईएएनएस

Created On :   5 May 2020 2:00 PM GMT

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