30 साल बाद खास रही महाशिवरात्रि, सिद्धि योग और भौम प्रदोष का महासंयोग

After 30 years this Mahashivaratri is special due to this reason
30 साल बाद खास रही महाशिवरात्रि, सिद्धि योग और भौम प्रदोष का महासंयोग
30 साल बाद खास रही महाशिवरात्रि, सिद्धि योग और भौम प्रदोष का महासंयोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देवों के महादेव भगवान शिव की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनाया गया। हालांकि पंचांगों में भेद के कारण कुछ क्षेत्रों में यह पर्व 14 फरवरी को भी मनाया जा रहा है। इस मौके पर मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। देर रात तक कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। भक्त बेल पत्र लेकर शिवालयों में पहुंचे। जहां उन्होंने भगवान भोले से सुख समृद्धि की कामना की। ज्योतिषियों के मुताबिक 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनाई जानी चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

क्या है खास
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन प्रथम शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। इस बार महाशिवरात्रि पर सिद्धि योग और भौम प्रदोष का महासंयोग भी है। सामान्यत: यह 32 साल में होता है, लेकिन ग्रह गोचर और संवत्सर की गणना के अनुसार 30 साल में यह योग बन रहा है। अधिकमास और ग्रहों की चाल में बदलाव होने के से इस बार ऐसा होगा। इससे चलित क्रम से मास योग का निर्माण भी हो रहा है।

13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि
पं. गिरधारीलाल पालीवाल (बड़े महाराज) के अनुसार 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि है। 12 फरवरी को रात करीब 8 बजे त्रयोदशी शुरू हो गई जो 13 फरवरी को रात 10.29 बजे तक है। इसके बाद रात 10.30 बजे चतुर्दशी शुरू होगी जो 14 फरवरी को रात 12.17 बजे तक रहेगी। प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि के साथ पड़ रही चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया
पं. ओम शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनेगी या 14 फरवरी को इस प्रश्न का उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया गया है। इसमें कहा गया है ‘परेद्युर्निशीथैकदेश-व्याप्तौ पूर्वेद्युः सम्पूर्णतद्व्याप्तौ पूर्वैव।।" यानी चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथ काल में कुछ समय के लिए हो और पहले दिन संपूर्ण भाग में हो तो पहले दिन ही यह व्रत करना चाहिए।

कई शहरों में अधिक समय खास समय
निशीथ काल रात के मध्य भाग के समय को कहा जाता है, जो 13 तारीख को कई शहरों में अधिक समय तक है। ऐसे में शास्त्रानुसार उज्जैन, मुंबई, कर्नाटक, तमिलनाडु, नागपुर, चंडीगढ़, गुजरात में 13 फरवरी महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। 13 तारीख को ही चतुर्दशी तिथि संपूर्णरूप से निशीथव्यापनी रहेगी। पूर्वी भारत में जहां स्थानीय रात्रिमान के अनुसार निशीथकाल 14 फरवरी को रात 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो रहा है वहां 14 फरवरी को महाशिवरात्रि का व्रत किया जा सकता है।

आकर्षक सजावट और रोशनी
महाशिवरात्रि पर जहां शिवालयों में भगवान शिव की आराधना और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।शहर के विभिन्न घाटों पर मेला लगा। महादेव की पूजा-अर्चना और अभिषेक का आयोजन किया गया है। काॅटन मार्केट स्थित मोक्षधाम, अंबाझरी घाट, गंगाबाई घाट, मानकापुर घाट, मानेवाड़ा घाट, शांतिनगर घाट में महादेव की मूर्तियों की आकर्षक सजावट कर रोशनी की गई है।

सूर्य भी शनि की राशि कुंभ में रहेगा
इस बार शिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र रहेगा, जिसका स्वामी चंद्र है। चंद्रमा मकर राशि में है और ये शनि की राशि है। सूर्य भी शनि की राशि कुंभ में रहेगा। मंगल स्वराशि यानी वृश्चिक राशि में रहेगा। यह योग सभी के लिए अच्छा रहने वाला है। खासतौर पर मकर, कर्क, वालों के लिए भाग्योदय का समय रहेगा। धनु, मिथुन के लिए चिंताएं बढ़ सकती हैं। शेष राशियों के समय सामान्य रहेगा।

Created On :   13 Feb 2018 12:43 PM GMT

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