ट्रांसफर आदेश न मानने की सजा, आलोक वर्मा पर लिया जाएगा एक्शन

ट्रांसफर आदेश न मानने की सजा, आलोक वर्मा पर लिया जाएगा एक्शन
हाईलाइट
  • CBI के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा ने ट्रांसफर के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
  • आलोक वर्मा पर विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
  • ये इस्तीफा अब आलोक वर्मा की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। CBI के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा ने ट्रांसफर के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ये इस्तीफा अब आलोक वर्मा की मुश्किलें बढ़ा सकता है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। दरअसल आलोक वर्मा का ट्रांसफर CBI से फायर सर्विसेज में कर दिया गया था। लेकिन आलोक वर्मा ने इस आदेश का पालन करने से इनकार करते हुई इस्तीफा दे दिया था। आलोक वर्मा के इस कदम को सर्विस रूल्स का उल्लंघन माना जा रहा है। गृह मंत्रालय ने वर्मा को पत्र लिखकर तत्काल DG फायर सर्विसेज का पद जॉइन करने को कहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, विभागीय कार्रवाई में आलोक वर्मा को पेंशन संबंधित लाभ से वंछित किया जा सकता है।

10 जनवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाई-पावर सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को CBI डायरेक्टर के पद से हटा दिया था। इसके बाद वर्मा ने मंत्रालय को पत्र लिखकर 11 जनवरी, 2019 से उन्हें सेवानिवृत्त मानने के लिए कहा था। 31 जुलाई, 1957 को जन्मे वर्मा ने 31 जुलाई, 2017 को सरकारी सेवा से रिटायरमेंट की एज प्राप्त कर ली थी। वर्मा ने तर्क रखा था कि वह DG फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स पद के लिहाज से उम्र सीमा पार कर गए हैं और वह चाहते हैं कि उन्हें सीबीआई से हटाए जाने वाले दिन से सेवानिवृत्त समझा जाए। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "सेवा नियमों में प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। या तो वर्मा को छुट्टी के लिए आवेदन करना चाहिए या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी चाहिए।"

सेलेक्शन पैनल ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ लगाए गए 8 आरोपों पर गंभीरता से विचार किया था। समिति ने महसूस किया था कि इस मामले की आपराधिक जांच सहित एक विस्तृत जांच आवश्यक है, ऐसे में वर्मा का CBI डायरेक्टर बने रहना ठीक नहीं है। बैठक में मौजूद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वर्मा को हटाए जाने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने CVC की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि CVC विश्वसनीय नहीं है। खड़गे का कहना था कि आलोक वर्मा पर लगे भष्टाचार के आरोपों की अलग से जांच होना चाहिए। हालांकि  2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को पद से हटा दिया गया था। तीन सदस्यीय इस पैनल में खड़गे के अलावा पीएम मोदी और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। इस पैनल की अध्यक्षता पीएम मोदी ने की थी। 

Created On :   31 Jan 2019 11:30 PM IST

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