तुष्टिकरण के कारण तीन तलाक कुप्रथा को खत्म करने में लगे 56 साल: शाह

तुष्टिकरण के कारण तीन तलाक कुप्रथा को खत्म करने में लगे 56 साल: शाह
हाईलाइट
  • अगर आज भी तीन तलाक कुप्रथा खत्म नहीं करते तो यह दुनिया के सामने भारत पर बहुत बड़ा धब्बा होता
  • शाह ने कहा
  • नारी को ईश्वर ने जो समानता का अधिकार दिया है
  • तीन तलाक कानून उसे ही स्थापित करता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन तलाक को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। रविवार को शाह ने कहा, तीन तलाक एक कुप्रथा थी, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए, जबकि तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को हक मिला है। नारी को ईश्वर ने जो समानता का अधिकार दिया है, तीन तलाक कानून उसे ही स्थापित करता है। अगर आज भी हम यह न करते तो यह दुनिया के सामने भारत पर बहुत बड़ा धब्बा होता।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन की तरफ से तीन तलाक का खात्मा: ऐतिहासिक गलती का सुधार विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, तीन तलाक एक कुप्रथा थी, इसमें कोई संदेह नहीं है। हमें इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए, इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है। तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को हक मिला है। शाह ने कहा, ऐसा कहा जाता है कि तीन तलाक मुस्लिम शरीयत का अंग है, हमारे धर्म के रीति-रिवाजों में दखल न दिया जाए। मगर 19 मुस्लिम देशों ने 1965 से पहले तीन तलाक खत्म कर दिया। अगर यह इस्लाम के खिलाफ होता तो ये देश गैर इस्लामिक काम क्यों करते।

शाह ने कहा, हाल यह था कि लोग महिलाओं को मोटी कहकर भी तीन तलाक दे देते थे। इस कानून से हिंदू, सिख और ईसाई को नहीं, सिर्फ मुस्लिमों को ही लाभ होने वाला है। हमने तो विरोध करने वाले सांसदों से मीडिया के सामने बहस करने के लिए भी कह दिया था।

शाह ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 1985 को शाह बानो जी के पक्ष में फैसला दिया। उस वक्त 400 के बहुमत के साथ श्री राजीव गांधी शासन कर रहे थे। वो दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा कि वोटबैंक के दबाव में आकर राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करके तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं पर थोप दिया था। शाह ने कहा तीन तलाक कानून शिक्षात्मक नहीं, शिक्षणात्मक है। यह लोगों को शिक्षित करने के लिए है। लोगों में एक भय रहेगा कि इसका उल्लंघन करने पर सजा होगी।

उन्होंने कहा, कानून के मुताबिक आरोपी को तब तक जमानत नहीं मिलेगी, जब तक कोर्ट महिला का पक्ष सुन नहीं लेती। एक एनजीओ के सर्वे में कहा गया था कि 92 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक से मुक्ति चाहती हैं। लोग कहते हैं कि कानून बना देने से क्या तीन तलाक रुक जाएगा? मैं कहता हूं क्या चोरी रोकने का कानून बना देने से ही चोरी बंद हो जाती है? यह कानून शिक्षणात्मक बनाया गया है, ताकि लोगों में भय पैदा हो।

शाह ने कहा, बिना तुष्टीकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली। इसी थ्योरी पर 2019 में ठप्पा लगाकर इस देश की जनता ने तुष्टीकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए दोबारा बहुमत दिया है। मोदी सरकार ने साढ़े पांच साल के अपने कार्यकाल के अंदर 25 से ज्यादा ऐतिहासिक निर्णय लेकर देश की दिशा बदलने का काम किया है।

Created On :   19 Aug 2019 3:37 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story