अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है..., देखें अटल जी के प्रभावशाली भाषण

Atal bihari vajpayee birthday special five memorable speeches
अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है..., देखें अटल जी के प्रभावशाली भाषण
अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है..., देखें अटल जी के प्रभावशाली भाषण
हाईलाइट
  • अटल जी देश के वो राजनेता थे
  • जिनके भाषण सुनने के लिए संसद से लेकर सड़कों तक लोग इंतजार करते थे
  • अटल बिहारी वाजपेयी के ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू भी प्रभावित थे
  • विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले वे देश के पहले वक्ता रहे हैं अटल जी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में क्रिसमस के दिन 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। अटलजी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज में हुई। अटलजी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था और स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्यपाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में वे हमेशा हिस्सा लेते थे। अटलजी एक प्रखर वक्ता और कवि हैं। ये गुण उन्हें उनके पिता से वंशानुगत मिले।

अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है...
अटलजी देश के वो चुनिंदा राजनेताओं में से हैं, जिनके भाषण सुनने के लिए संसद से लेकर सड़क तक लोग इंतजार करते रहे हैं। 1957 में जब वे पहली बार बलरामपुर से सांसद बनकर लोकसभा में पहुंचे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने उनका भाषण सुनकर कहा था कि ये लड़का एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। अटलजी जब जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री बनकर संयुक्त राष्ट्र संघ में पहुंचे तब वे यूएन में हिंदी में भाषण देने वाले दुनिया के पहले नेता बन गए। अटलजी के भाषणों को लेकर आम जनता में इस तरह दीवानगी थी कि उनका भाषण सुनने के लिए विरोधी दल के लोग भी सभाओं में जाते थे। आपातकाल के बाद देश में ये नारा चल निकला था कि "अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है..."

संयुक्त राष्ट्र के मंच पर हिन्दी में भाषण
जनता पार्टी ने देश में पहली बार 1977 में अपनी सरकार बनाई थी। इस सरकार में मोरारजी देसाई पीएम थे, तो वहीं अटलजी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। अटलजी ने विदेश मंत्री रहते हुए पूरे विश्व में भारत की छवि बनाई और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले वे देश के पहले वक्ता बने। जिन्होंने चार अक्टूबर, 1977 को संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना भाषण हिन्दी में देकर भारत को गौरवान्वित किया था। हालांकि, यह भाषण पहले अंग्रेजी में लिखा गया था, लेकिन, अटल ने उसका हिंदी अनुवाद पढ़ा था।

"पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या"
अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण हमेशा मजेदार होते थे। जिन लोगों ने अटल जी के भाषण लाइव सुने हैं, वे आज भी उन पलों और अटलजी की कही बातों को सोचकर हंस पड़ते हैं। लोग तो कहते हैं कि अब उन सा भाषण देने वाला कोई रहा ही नहीं है। उन दिनों देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और विपक्ष के नेता अटल बिहारी जी के बीच दोनों के ही भाषणों में काफी तनातनी जाती रही है। एक बार तो इंदिरा गांधी ने अटल जी की आलोचना करते हुए कहा था कि "वो बहुत हाथ हिला-हिलाकर बात करते हैं"। इसके बाद अटल जी ने जवाब में कहा कि "वो तो ठीक है, आपने किसी को पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या।"

भूकंप आ जाए तब भी अटलजी को सुनते थे लोग
यह बात उन दिनों की है, जब देश में इमरजेंसी लगी थी। इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी जेल में बंद थे। दूसरी ओर इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा कर दी थी। उसके बाद अटल जी समेत सब लोग जेल से छूट गए। चुनाव प्रचार के लिए कम वक्त मिला था। दिल्ली में जनसभा हो रही थी। जनता पार्टी के नेता आकर स्पीच तो दे रहे थे। इस दौरान कड़ाके की ठंड थी। बारिश भी हल्की-हल्की होने लगी थी। फिर भी जनता हिल नहीं रही थी, लोग जमे बैठे थे। एक नेता ने बगल वाले से पूछा कि लोग जा क्यों नहीं रहे, बोरिंग स्पीच हो रही है और ठंड भी है। तभी बगल से जवाब मिला कि अभी अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होना है, इसीलिए लोग रुके हुए हैं। भूकंप आ जाएगा तब भी लोग हटेंगे नहीं।

संसद में बोले- जीवन मूल्यों के साथ समझौता नहीं करते
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू तक को प्रभावित किया था। एक बार अटलजी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर नेहरूजी ने उनको "भविष्य का प्रधानमंत्री" तक बता दिया था। आगे चलकर नेहरूजी की यहभविष्यवाणी सच भी साबित हुई। अटलजी ने संसद में बोलते हुए कहा था कि अपनी बात को निर्भिकता के साथ सामने रखना चाहिए। लेकिन कुछ जीवन मूल्य ऐसे हैं जिनके साथ समझौता नहीं हो सकता। ये जीवन मूल्य है राजनेताओं की ईमानदारी का सम्मान।

वहां नुकीले पत्थर गड़े हैं, उन्हें तो समतल करना होगा
बाबरी मस्जिद को लेकर सोशल मीडिया पर अटल बिहारी वाजपेयी का एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। ये वीडियो 5 दिसंबर 1992 का है, मतलब कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने से ठीक एक रात पहले का है। लखनऊ में मंच से अटल बिहारी वाजपेयी कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट ने हमें, अधिकार दिया है कि हम कार सेवा करेंगे। रोकने का तो सवाल ही नहीं। कल कार सेवा करके अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेश की अवेहलना नहीं होगी। कार सेवा करके सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान किया जाएगा। खुदाई बाद वहां जो नुकीले पत्थर निकले, उनपर तो कोई नहीं बैठ सकता, तो जमीन को समतल करना पड़ेगा। बैठने लायक बनाना पड़ेगा। यज्ञ का आयोजन होगा। मैं नहीं जानता कल वहां क्या होगा, मेरी अयोध्या जाने की इच्छा थी लेकिन मुझे वहां नहीं जाने दिया जा रहा है।’

बाबरी मस्जिद पर दिया गया भाषण

संसद में अटलजी

Created On :   23 Dec 2017 1:30 PM GMT

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