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दैनिक भास्कर हिंदी: अयोध्या विवाद : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 13 पिटीशंस, SC में सुनवाई आज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अयोध्या विवाद को लेकर सुनवाई होनी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद से जुड़ी 13 पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इन पिटीशंस में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। इसके साथ ही मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से 1994 में इस्माइल फारूखी केस पर सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले पर रिव्यू करने की मांग भी की गई, जिस पर भी शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है। 1994 में इस्माइल फारूखी केस में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना था। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या दिया था फैसला?
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2.77 एकड़ की इस विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जमीन को निर्मोही अखाड़ा, रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सभी पक्षकारों ने आपत्ति जताई और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से पिछले 7 सालों से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पैंडिंग है।
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मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं?
इसके साथ ही मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से वकील राजीव धवन ने पिछली सुनवाई में 1994 में दिए इस्माइल फारूखी केस पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रिव्यू करने की मांग की थी। दरअसल, 1993 में केंद्र सरकार ने अधिग्रहण एक्ट-1993 के तहत विवादित जमीन और उसके पास की कुछ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था। इस मामले पर इस्माइल फारूखी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन डाली, जिस पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने 1994 में अपना फैसला दिया। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस्लाम में नमाज पढ़ना जरूरी नहीं है और ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि नमाज किसी भी जगह पढ़ी जा सकती है। इसी फैसले की इस बात को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने चुनौती दी है। मुस्लिम पक्षकारों की मांग है कि कोर्ट इस फैसले को दोबारा देखे।
मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा
1994 के इस्माइल फारूखी केस पर दिए फैसले को दोबारा देखे जाने की मांग मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से की गई है। मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा था कि '1994 में सुप्रीम कोर्ट का दिया फैसला आर्टिकल-25 का उल्लंघन है, जो आस्था का अधिकार देता है।' धवन ने कहा था 'इस्लाम में मस्जिद का बहुत महत्व होता है और एक बार अगर मस्जिद बना दी जाए तो वो अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता।' उन्होंने कहा था 'खुद पैगंबर मोहम्मद ने मदीना से 30 किलोमीटर दूर मस्जिद बनाई थी। इस्लाम में मस्जिद जाना जरूरी माना गया है। अयोध्या में विवादित ढांचे पर कह देना कि कोई जगह मस्जिद नहीं थी, उससे कुछ नहीं होता।' उन्होंने मांग की थी कि इस मामले को 3 जजों की बेंच की बजाय 5 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए। धवन की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने भी कहा था कि 'पहले हमें 1994 के फैसले पर इस विवाद को खत्म करना चाहिए।'
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अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद देश का ऐसा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।