भीमा कोरेगांव: सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज के मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत याचिका खारिज की

Bhima Koregaon: Supreme Court dismisses interim bail plea on Bharadwajs medical ground
भीमा कोरेगांव: सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज के मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत याचिका खारिज की
भीमा कोरेगांव: सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज के मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत याचिका खारिज की
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज के वकील से पूछा कि अगर उन पर पहले से ही मेरिट के आधार पर मजबूत मामला है, तो उनके मेडिकल ग्राउंड पर जमानत याचिका क्यों दायर की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उसे रद्द कर दिया।

भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। आदेश में चल रही महामारी के बीच मेडिकल ग्राउंड पर उनकी अंतरिम जमानत पाने की याचिका खारिज कर दी गई थी।

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और अजय रस्तोगी की पीठ ने भारद्वाज की वकील वृंदा ग्रोवर से पूछा कि रेगुलर जमानत याचिका दायर क्यों नहीं की गई है। इस पर ग्रोवर ने उत्तर दिया कि वह हाईकोर्ट में लंबित था।

न्यायमूर्ति ललित ने हाईकोर्ट का हवाला देते हुए उल्लेख किया कि उनकी चिकित्सा जारी है। इस पर ग्रोवर ने कहा, मैं सिर्फ जांच कराने के लिए आपसे अनुग्रह कर सकती हूं। ये टेस्ट जेल के अस्पताल में नहीं हो सकते।

न्यायमूर्ति रस्तोगी ने बताया कि अगस्त में जेल अधिकारियों द्वारा उनकी जांच की गई थी। ग्रोवर ने इस पर प्रतिवाद किया और जेल में अपने मुवक्किल को दी गई चिकित्सा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनकी मुवक्किल करीब 2 साल से हिरासत में है और उन पर अभी तक आरोप भी नहीं लगाए गए हैं और उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिले हैं।

इस पर न्यायमूर्ति रस्तोगी ने ग्रोवर से पूछा, यदि आप पर मेरिट के आधार पर एक अच्छा मामला है, तो आप नियमित जमानत आवेदन क्यों नहीं दायर करते हैं?

ग्रोवर ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल को कई बीमारियां हैं, जो कि कोरोना के मद्देनजर संवेदनशील है और उन्हें दो बीमारियां हिरासत में रहते हुए हुई हैं।

ग्रोवर ने कोर्ट से अपने मुवक्किल के कार्डियो प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल और किडनी की जांच के लिए अंतरिम जमानत देने का भी आग्रह किया। न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि चिकित्सा स्थिति स्थिर नहीं रहती है और यह बदलती रहती है, इसलिए इस आधार पर आप फिर से कोर्ट का रुख कर सकती हैं। पीठ ने ग्रोवर से कहा कि वह याचिका वापस लेने का विकल्प चुन सकती हैं, या इसे खारिज कर दिया जाएगा।

एमएनएस/एएनएम

Created On :   24 Sept 2020 9:01 PM IST

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