- देश में कोरोना का काउंटडाउन शुरू, आज सुबह 10.30 बजे लगेगी पहली वैक्सीन
- इंडोनेशिया में कम से कम 42 लोगों की मौत, भूकंप ने घरों और इमारतों को किया क्षतिग्रस्त
- हरियाणा में 77 साइट्स पर चलेगा टीकाकरण अभियान: राज्य सरकार
- उत्तराखंड: उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर छोड़ने वाली नियमावली को मंजूरी
- राजस्थान सरकार ने नाइट कर्फ्यू की अवधि बढ़ाई, अगले आदेश तक जारी रहेंगी पाबंदियां
कोरोना/लॉकडाउन: जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंतित बिहार सरकार, बांटे लाखों कंडोम

हाईलाइट
- कोरोना काल में जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंतित बिहार सरकार
- सुशील कुमार मोदी ने बताया- अप्रैल में बांटे गए 2.14 लाख कंडोम
डिजिटल डेस्क, पटना। कोरोना संकट के बीच बिहार सरकार को अब राज्य में जनसंख्या वृद्धि की चिंता सता रही है। इसे रोकने के लिए सरकार ने जमीनी स्तर पर कई कदम भी उठाए हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया, बिहार में बढ़ती जनसंख्या से चिंतित राज्य सरकार ने क्वारंटीन सेंटरों में रहने वालों को न केवल स्वास्थ्य, योग आदि का प्रशिक्षण दिया और उनकी स्किल मैपिंग की, बल्कि उनके घर वापस जाने के समय उन्हें परिवार नियोजन से संबंधित जानकारियां व गर्भ निरोधक सामग्रियां भी दी गईं।
कोरोना काल में बांटे गए 17.53 लाख कंडोम
सुशील मोदी ने बताया, अप्रैल में 2.14 लाख कंडोम बांटे गए, वहीं मई में क्वारंटीन सेंटर में बाहर से आने वालों की संख्या बढ़ी तो 15.39 लाख अतिरिक्त कंडोम वितरित किए गए यानी कुल 17.53 लाख कंडोम बांटे जा चुके हैं। उन्होंने कहा, प्रत्येक दशक में बिहार की जनसंख्या में 25 फीसदी की वृद्धि हो रही है। वैसे लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा, बाल विवाह निषेध व अन्य निरोधात्मक उपायों को अपना कर पिछले एक दशक में प्रजनन दर को 4.3 से घटाकर 3.2 पर लाने में सफलता मिली है।
दिल्ली: सीएम केजरीवाल को खांसी-बुखार की शिकायत, आज कराएंगे कोरोना टेस्ट
'स्वास्थ्य केन्द्र से भी ले सकते हैं गर्भ निरोधक सामग्रियां'
उन्होंने कहा, जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फ्रंटलाइन आशा कार्यकर्ताओं और एनएनएम द्वारा कोरोना संक्रमण के घर-घर सर्वें के दौरान और 14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी कर घर जाने वालों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी गई और जिन्हें जरूरत थी उन्हें दो-दो पैकेट कंडोम उपलब्ध कराए गए। योग्य दंपतियों को उनकी इच्छानुसार करीब 11 लाख दैनिक व आपातकालीन गर्भ निरोधक गोलियों का भी वितरण किया गया। सुशील मोदी ने अपील की है कि, प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर भी गर्भ निरोधक सामग्रियां उपलब्ध हैं, जिन्हें जरूरत हो वहां से ले सकते हैं।
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।