बिहार: पितृपक्ष के पूर्व मोक्षस्थली गया में सन्नाटा, ऑनलाइन पिंडदान के विरोध में पंडासमाज

Bihar: Silence in Mokshasthali Gaya, East of Pitrupaksha, Pandasamaj in protest against online pinddaan
बिहार: पितृपक्ष के पूर्व मोक्षस्थली गया में सन्नाटा, ऑनलाइन पिंडदान के विरोध में पंडासमाज
बिहार: पितृपक्ष के पूर्व मोक्षस्थली गया में सन्नाटा, ऑनलाइन पिंडदान के विरोध में पंडासमाज
हाईलाइट
  • बिहार: पितृपक्ष के पूर्व मोक्षस्थली गया में सन्नाटा
  • ऑनलाइन पिंडदान के विरोध में पंडासमाज

गया, 1 सितंबर (आईएएनएस)। पितृपक्ष में पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ बिहार के गया आने वाले पिंडदानी इस पितृपक्ष में यहां नहीं पहुंच पाए। सरकार द्वारा कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने भी भी इस साल पितृपक्ष मेले पर रोक लगा दी है।

इस साल दो सितंबर से शुरू होने वाले पितृपक्ष के एक दिन पहले तक वष्णुनगरी गया में पिंडदानियों के नहीं पहुंचने के कारण सन्नाटा पसरा है।

बता दें कि पुरखों (पूर्वजों) को पिंडदान करने के लिए पितृपक्ष में देश, दुनिया के श्रद्घालु यहां पहुंचते हैं।

पितृपक्ष प्रारंभ होने के एक दिन पहले पुनपुन नदी में तर्पण, पिंडदान कर श्रद्घालु यहां पहुचते हैं और पितृपक्ष प्रारंभ होने के साथ विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं। इस बार मेले को रद्द करने के बाद प्रशासन तीर्थयात्रियों को गया पहुंचने के लिए मना कर रहा है।

इधर, गया के पंडों ने ऑनलाइन पिंडदान का भी विरोध करते हुए इसका बहिष्कार कर दिया है। तीर्थ और वृत्ति सुधारिणी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने आईएएनएस को बताया कि मोक्षस्थली गया में पिंडदान ना कभी रुका है और ना कभी रुकेगा।

उन्होंने कहा, श्रद्घा से ही श्राद्घ की उत्पति हुई है। ऑनलाइन पिंडदान की कई संस्थाओं ने व्यवस्था की है, लेकिन हमलोगों ने इसका विरोध किया है।

उन्होंने बताया, धर्मशास्त्र में कहीं भी ऑनलाइन की व्यवस्था का उल्लेख नहीं है। पिंडदान पुत्रों द्वारा पितृऋण से मुक्ति का मार्ग है, लेकिन जब पुत्र ही उपस्थित नहीं होगा तो फि र यह तो धोखा है।

इधर, गया पंडा समाज के पंडा महेश लाल गायब कहते हैं कि ऑनलाइन और ई पिंडदान रोकने के लिए पंडा समाज के लोगों द्वारा 21 सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि करीब 700 ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी गई है।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पिंडदान आस्था के साथ धोखा है। पिंडदान के लिए पिंडवेदियों पर आना होगा, तभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष या महालय पक्ष कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं।

मान्यता है कि पिंडदान करने से मृतात्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है। इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग प्रकार का है। श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं। कर्मकांड करने आने वाले श्रद्घालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं।

एमएनपी-एसकेपी/जेएनएस

Created On :   1 Sep 2020 7:31 AM GMT

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