- अहमदाबाद और सूरत मेट्रो प्रोजेक्ट के भूमि पूजन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शामिल होंगे पीएम मोदी
- कोरोना गाइडलाइंस के साथ दिल्ली में 10 महीने बाद खुले स्कूल, खुश नजर आए बच्चे
- यूपी में आज बीजेपी के 10 उम्मीदवार एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करेंगे
- बंगालः बीजेपी नेता शुभेंद्र अधिकारी आज दोपहर 3 बजे कोलकाता में करेंगे रोड शो
- दिल्ली: 26 जनवरी को निकलने वाली किसानों की ट्रैक्टर रैली के खिलाफ SC में आज होगी सुनवाई
खुर्शीद के बयान 'राहुल छोड़ गए' पर BJP का तंज- न नेता, न नीति, न ही नीयत
हाईलाइट
- राहुल गांधी को लेकर सलमान खुर्शीद ने दिया बड़ा बयान
- राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी में खालीपन पैदा हुआ- खुर्शीद
- बीजेपी ने सलमान खुर्शीद के बयान पर कसा तंज
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। हमनें लोकसभा चुनाव हारा। हमारे पास कोई शीर्ष नेतृत्व नहीं है। हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे नेता ही छोड़ गए। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद ने कुछ इस तरह अपना दर्द बयां किया है। खुर्शीद ने पार्टी की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे से संकट बढ़ा है। राहुल गांधी के इस फैसले के कारण पार्टी हार के बाद जरूरी आत्मनिरीक्षण भी नहीं कर पाई। यह पहला मौका है, जब कांग्रेस के किसी नेता ने राहुल गांधी के इस्तीफे के लिए 'छोड़ जाने' जैसे शब्द का इस्तेमाल किया है। खुर्शीद ने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद एक खालीपन पैदा हुआ है।
So finally Congress concedes defeat even before the polling in the upcoming Assembly elections!
— Sambit Patra (@sambitswaraj) October 9, 2019
Khurshid agrees Rahul Gandhi has just “Waked Away” & Sonia Gandhi is just a “Stop-Gap” arrangement ...meaning @INCIndia is left with no “नेता”,”नीति” or “नियत”! pic.twitter.com/gciL3bHNOM
क्या राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर 'जिम्मेदारियों से भाग' गए? कम-से-कम सलमान खुर्शीद तो यही मानते हैं। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने पहली बार वह बात खुलकर कह दी जो दबे अंदाज में कहा जा रहा था। वहीं बीजेपी सलमान खुर्शीद के इस बयान पर कांग्रेस को घेरती नजर आ रही है। बीजेपी प्रवक्ता संदीप पात्रा ने एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि अब कांग्रेस के पास न नेता है, न नीति और न ही नीयत।
बीजेपी प्रवक्ता ने लिखा, 'खुर्शीद मानते हैं कि राहुल गांधी 'छोड़ गए' और सोनिया गांधी सिर्फ 'फौरी इंतजाम' देख रही हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस में कोई नेता, नीति और नीयत नहीं बचा है।'
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।