करतार सिंह भड़ाना के जरिए 4 राज्यों के गुर्जरों को साधना चाहती है भाजपा

BJP wants to cultivate Gurjars of 4 states through Kartar Singh Bhadana
करतार सिंह भड़ाना के जरिए 4 राज्यों के गुर्जरों को साधना चाहती है भाजपा
करतार सिंह भड़ाना के जरिए 4 राज्यों के गुर्जरों को साधना चाहती है भाजपा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोदी सरकार में मौजूदा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ मध्य प्रदेश की मुरैना-श्योपुर सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके करतार सिंह भड़ाना शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए। करतार सिंह गुर्जर नेता हैं और दिलचस्प यह कि वह अलग-अलग दलों के टिकट पर चार राज्यों में चुनाव लड़ चुके हैं।

बिजनेसमैन से नेता बने करतार सिंह भड़ाना को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश के गुर्जर समुदाय को साधने की कोशिश की है। करतार का भाजपा में आना इसलिए भी खास है, क्योंकि भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मीरापुर सीट से 2017 में विधायक बने उनके भाई अवतार सिंह इस्तीफा देकर कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। इस प्रकार भाजपा ने एक भाई के जाने पर दूसरे भाई को अपने साथ जोड़ कर गुर्जर वोटों के मद्देनजर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।

भड़ाना के एक करीबी ने आईएनएस से कहा, गुर्जरों में मजबूत पकड़ की वजह से ही उन्हें कई दलों से अलग-अलग राज्यों की सीटों से टिकट मिलता रहा है। इससे साबित होता है कि गुर्जरों में करतार और उनके भाई अवतार सिंह भड़ाना की लोकप्रियता क्षेत्र या राज्य से नहीं बंधी है। वह पूरे गुर्जर समुदाय के नेता हैं।

भाजपा में शामिल होने के बाद हरियाणा सरकार के पूर्व सहकारिता मंत्री और तीन बार के विधायक करतार सिंह भड़ाना ने पार्टी मुख्यालय में आईएएनएस से कहा, सही समय पर यह उनकी घर वापसी है। वह, 2004 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की दौसा सीट से भाजपा के टिकट पर कांग्रेस नेता और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। बाद में उन्हें लगा कि भाजपा में उनकी जरूरत नहीं है, इसलिए वह भाजपा से अलग हो गए थे।

फिर तो नहीं दलबदल करेंगे? इस सवाल पर करतार सिंह ने कहा कि इस वक्त भाजपा में सच सुनने वाले लोग हैं, इस नाते उन्हें लगा कि यह भाजपा से जुड़ने का सही समय है।

हरियाणा में 21 अक्टूबर के मतदान से महज दो दिन पहले भाजपा में आने के सवाल पर उन्होंने कहा, अगर पहले जुड़ता तो लोग कहते कि टिकट के लिए आया है। इस नाते टिकट वितरण हो जाने के बाद पार्टी से जुड़ने का फैसला किया।

करतार सिंह भड़ाना ने कहा कि भाजपा में वह बिना किसी शर्त के शामिल हुए हैं। सांसद, विधायक के बिना भी राजनीति होती है।

करतार सिंह, फरीदाबाद से तीन बार सांसद रहे अवतार सिंह भड़ाना के भाई हैं। फरीदाबाद के अनंगपुर गांव के गुर्जर परिवार से आते हैं। गुर्जरों में अच्छी पकड़ के चलते हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में दोनों भाइयों की खास राजनीतिक सक्रियता रहती है। जब हरियाणा में सफलता मिलती नहीं दिखती तो दोनों भाई पश्चिम उत्तर प्रदेश का रुख करने से नहीं चूकते।

मिसाल के तौर पर करतार सिंह भड़ाना, हरियाणा के समालखा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे। 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से पहली बार जीते और फिर दलबदल कर इनेलो से 2000 में लगातार विधायक बने। इस दौरान वह चौटाला की सरकार में सहकारिता मंत्री रहे। फिर इनेलो छोड़कर भाजपा के टिकट पर दौसा से लोकसभा चुनाव लड़े।

इसके बाद करतार सिंह ने बसपा, सपा से होते हुए चौधरी अजित सिंह की पार्टी रालोद का दामन थाम लिया। रालोद के टिकट पर वह 2012 में उप्र की खतौली सीट से जीतकर तीसरी बार विधायक बने। हालांकि रालोद के टिकट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए।

उनके भाई अवतार सिंह की बात करें तो वह 1991 में कांग्रेस के टिकट पर फरीदाबाद से पहली बार सांसद हुए। फिर 1999 के लोकसभा चुनाव में उप्र की मेरठ सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए। वहीं 2004 में फिर फरीदाबाद सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस को फरीदाबाद सीट दिलाई थी। उप्र के 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर मीरापुर सीट से जीते करतार के भाई अवतार सिंह योगी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस प्रकार दोनों भाई कई दलों में अंदर-बाहर होते रहे हैं।

 

Created On :   18 Oct 2019 12:30 PM GMT

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