हद है: अस्पताल में मंत्री के स्वागत के लिए बिछाई कालीन, मीडियाकर्मियों को देख आनन-फानन में हटाए

हद है: अस्पताल में मंत्री के स्वागत के लिए बिछाई कालीन, मीडियाकर्मियों को देख आनन-फानन में हटाए
हाईलाइट
  • जेके लोन अस्पताल में अब तक 104 बच्चों की हो चुकी है
  • मामले की लीपापोती करने में लगी है राज्य सरकार

डिजिटल डेस्क, कोटा। शहर के जेके लोन अस्पताल में एक महीने के अंदर 104 बच्चों की मौत होने के बावजूद राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता नजर नहीं आ रहा है। अस्पताल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पहुंचने की खबर मिलते ही स्टाफ ने सफाई करना शुरू कर दी। यही नहीं मंत्री के दौरे को एक समारोह की शक्ल दिए जाने की कोशिश की गई। यहां मंत्रीजी के लिए कालीन बिछाई जाने लगी, लेकिन कुछ मीडियाकर्मियों के पहुंचने के बाद इन कालीनों को हटा लिया गया। वहीं सीएम गेहलोत का इस मामले को लेकर विवादित बयान देने का दौर भी जारी है। उन्होंने आज (शुक्रवार) फिर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि ये तो आप देश में और प्रदेश में कहीं भी जाएं, वहां अस्पताल में कुछ कमियां मिलेंगी ही।

 

 

कोटा के जेके लोन अस्पताल के जिस आईसीयू में शिशुओं की मौत हुई, उसमें स्वच्छता की कमी पर किए सवाल के जवाब में राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि "ये तो आप देश में और प्रदेश में कहीं भी जाएं, वहां अस्पताल में कुछ कमियां मिलेंगी ही, उसकी आलोचना करने का हक मीडिया और लोगों को है, इससे सरकार की आंखें खुलती हैं और सरकार उसको बेहतर बनाती है।"

 

 

दरअसल, अशोक गहलोत सरकार चौतरफा विरोध का सामना कर रही है। विपक्षी बीजेपी राज्य सरकार पर निशाना साध रही है। दूसरी तरफ सीएम गहलोत इस मुद्दे पर सियासत नहीं करने की अपील कर रहे हैं। बीजेपी ने राजस्थान सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाने पर लिया। वहीं, बीएसपी चीफ मायावती ने भी गहलोत सरकार और प्रियंका गांधी पर निशाना साधा। उधर, राज्य सरकार ने इन मौतों पर सफाई दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि कई बच्चों को काफी गंभीर स्थिति में लाया गया था।

पिछले वर्षों की मौतों की तुलना कर रहे नेता
एक ओर जहां बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार में बैठे लोग पिछली वर्षों में हुई मौतों से तुलना कर रहे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने पिछले दिनों कहा था कि अगर बीजेपी अपने कार्यकाल के दौरान इस अस्पताल में हुए बच्चों की मौत का आंकड़ा देख ले तो शायद आलोचना नहीं करे। हमने लगातार मौत के आंकड़ों को कम किया है और करते जा रहे हैं।

एक ही बेड पर दो-तीन बच्चों का लेटाया जा रहा 
बीते मंगलवार को लॉकेट चटर्जी, कांता कर्दम और जसकौर मीणा समेत बीजेपी सांसदों के एक संसदीय दल ने अस्पताल का दौरा कर उसकी हालत पर चिंता जताई थी। दल ने कहा था कि एक ही बेड पर दो-तीन बच्चे थे और अस्पताल में पर्याप्त नर्सें भी नहीं हैं। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया था। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि अस्पताल परिसर के भीतर सुअर घूमते पाए गए। माना जा रहा है कि बच्चों के मौत की वजह जीवन रक्षक उपकरणों की कमी हो सकती है। 

535 जीवन रक्षक उपकरणों में से 320 काम नहीं कर रहे
सूत्रों ने बताया कि 535 जीवन रक्षक उपकरणों में से 320 काम नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा 71 इंफेंट वामर्स में से सिर्फ 27 काम कर रहे हैं। कुछ वेंटिलेटर भी सही तरह से काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार किया है। सीएमओ के सूत्रों ने पुष्टि की कि गहलोत मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और खुद जांच की निगरानी कर रहे हैं। अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि सभी बच्चों को अस्पताल में गंभीर हालत में लाया गया था।

 

 

 

Created On :   3 Jan 2020 10:57 AM GMT

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