राज्यसभा का अंतिम सत्र भी खत्म, नहीं पेश हो सका नागरिकता संशोधन बिल
- अरुणाचल और मणिपुर के सीएम भी कर रहे विरोध
- गृहमंत्री से मिल चुके हैं दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री
- लोकसभा में पास हो चुका है बिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बजट सत्र के आखिरी दिन भी राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश नहीं किया जा सका। इससे पहले मंगलवार को हंगामे के कारण बिल को पेश नहीं किया जा सका था। विधेयक 8 जनवरी को लोकसभा में पास हो चुका है। पूर्वोत्तर के राज्य इस बिल का भारी विरोध कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन के कारण मणिपुर की राजधानी इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया था। विरोध प्रदर्शन करने वालों में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला भी शामिल हैं। उन्होंने राज्य की मिजो नेशनल फ्रंट पार्टी की सरकार पर केंद्र से डरने का आरोप लगाया है। बता दें कि भाजपा शासित पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर बिल राज्यसभा में पेश न करने का अनुरोध किया था।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल में?
दरअसल केंद्र सरकार 1955 में आए नागरिकता कानून बिल में संशोधन करना चाहती है। इस कानून के अनुसार पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देश से आए रिफ्यूजी को 12 साल देश में गुजारने के बाद नागरिकता मिलती है। हालांकि केंद्र सरकार इसको संशोधित कर इसके टाइम लिमिट को घटाना चाहती है। संशोधन के बाद 12 साल के बजाए 6 साल भारत में गुजारने पर नागरिकता मिल सकेगी। नॉर्थ-ईस्ट के लोग इसके खिलाफ हैं और इस बिल का विरोध कर रहे हैं। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इस बिल का सबसे ज्यादा असर असम और मणिपुर समेत सभी पूर्वोत्तर राज्य पर पड़ेगा। लोगों का कहना है कि बांग्लादेशी लोगों के आने से असम और कई राज्यों की संस्कृति पर असर पड़ेगा।
Created On :   13 Feb 2019 9:15 AM IST