संविधान दिवस: पीएम मोदी बोले- समय के साथ महत्व खो चुके कानूनों को हटाना जरूरी

Constitution Day: PM Modi said- it is necessary to remove laws that have lost importance with time
संविधान दिवस: पीएम मोदी बोले- समय के साथ महत्व खो चुके कानूनों को हटाना जरूरी
संविधान दिवस: पीएम मोदी बोले- समय के साथ महत्व खो चुके कानूनों को हटाना जरूरी
हाईलाइट
  • 26/11 मुंबई आतंकी हमले को याद किया
  • 26/11 हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी
  • संविधान और कानून को लेकर अपने विचार दिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संविधान दिवस के मौके पर आज (26 नवंबर) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश को संबोधित किया। गुजरात के केवड़िया में पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना संबोधन दिया। इस मौके पर पीएम मोदी ने संविधान और कानून को लेकर अपने विचार रखे। 

इस दौरा उन्होंनें 26/11 मुंबई आतंकी हमले को याद करते हुए हमले में मारे गए जवानों को याद किया। उन्होंने देशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं भी दीं।  केवड़िया में 80 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के मान्य सत्र के समापन समारोह पर पीएम मोदी ने ये संबोधन दिया। 

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पीएम मोदी ने कहा कि, आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर संविधान सभा के सभी व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से देश को संविधान मिला है। आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है।

उन्होंने कहा कि, आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था। इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी। कई देशों के लोग मारे गए थे। मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं। 

पीएम मोदी ने कहा कि, संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है। 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे "शक्ति का विभाजन" की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला। इस वैश्विक महामारी के दौरान भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है, उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है। इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है।

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उन्होंने कहा कि, हमारे निर्णय का आधार एक ही मानदंड होना चाहिए और वो है राष्ट्रहित। राष्ट्रहित ही हमारा तराजू होना चाहिए। हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि, जैसे सदन में एक भाव की आवश्यकता होती, वैसे ही देश में भी एक भाव की आवश्यकता होती। सरदार पटेल का ये स्मारक इस बात का जीता-जागता सबूत है कि जहां कोई राजनीतिक छूआ-छूत नहीं। देश के गौरव से बड़ा कुछ नहीं हो सकता।

पीएम ने कहा कि, हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।

Created On :   26 Nov 2020 9:42 AM GMT

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