केंद्र के साथ समन्वय से प्रवासियों को घर लाने में मिली मदद : हेमंत सोरेन (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। हेमंत सोरेन ने दिसंबर 2019 में झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली और वह एक गठबंधन सरकार चला रहे हैं, जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन राज्यसभा के सदस्य हैं और वह 2009 में विधानसभा पहुंचे थे। वह 2010 से 2013 तक राज्य के उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
कोरोनावायरस महामारी के समय में उन्हें सबसे कुशल मुख्यमंत्री होने का श्रेय दिया जा रहा है। वे पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को निकालने के लिए तेलंगाना से ट्रेन की सुविधा प्रदान की। हेमंत सोरेन ने व्यक्तिगत रूप से पूरे ऑपरेशन की निगरानी की है और उन सभी लोगों की मदद में लगे हुए हैं, जो राष्ट्रव्यापी बंद के कारण अपने घरों से दूर अन्य स्थानों पर फंसे हुए हैं।
मुख्यमंत्री सोरेन ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा है कि वह केंद्र सरकार के साथ अच्छा समन्वय बनाए रखने में सक्षम हैं और प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम दिया जाएगा।
साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश:
प्रश्न: झारखंड में कितने कोरोना पॉजिटिव केस हैं और उनकी देखभाल कैसे की जा रही है? राज्य में परीक्षण की स्थिति क्या है?
उत्तर: हम शुरू से ही सतर्क रहे हैं। केंद्र सरकार के समन्वय में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी नए निदेशरें की समीक्षा कर उन्हें लागू कर रहे हैं। राज्य में प्रतिदिन कोविड-19 के हजारों परीक्षण किए जा रहे हैं, जिनमें से विशेष रूप से कंटेनमेंट जोन में परीक्षण किए जा रहे हैं। संदिग्ध मामलों का भी संपर्क के माध्यम से पता लगाकर परीक्षण कराया जा रहा है। राज्य में 200 से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं और इनमें से 100 लोग ठीक भी हो चुके हैं, जिन्हें घर वापस भेज दिया गया है। तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। देश के अन्य जिलों की तुलना में रांची में ठीक होने की दर (रिकवरी रेट) अधिकतम है। रांची में संक्रमण के 104 मामले सामने आए थे, जिनमें से 83 ठीक हो चुके हैं, जिन्हें छुट्टी दे दी गई है। सरकार उन तरीकों और साधनों की दिशा में भी काम कर रही है, जो एकांतवास में रखे गए लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली है। उनके भोजन में सब्जियां और फल शामिल किए गए हैं, जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न: झारखंड में बहुत बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर हैं। ऐसे काफी लोग राज्य में वापस लौट आए हैं। आपने उनके एकांतवास में रखने के लिए क्या उपाय किए हैं? वायरस के प्रसार को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर: राज्य सरकार ने इस दिशा में कई सार्थक प्रयास किए हैं। सबसे पहले हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ट्रेन से लौटने वाले मजदूरों के परीक्षण किए जाएं और उनमें से संदिग्ध रोगियों को एकांतवास में रखा जाए। उनमें से कुछ को एक उचित प्रक्रिया के बाद घर में ही एकांतवास में रहने या सरकार द्वारा नियंत्रित एकांतवास केंद्रों में भेजा जा रहा है, जिसमें संदिग्ध भी शामिल है। यह प्रसार की रोकथाम सुनिश्चित करेगा। हमने सामाजिक पुलिसिंग की भी शुरूआत की है, जिसके तहत जागरूकता फैलाने के लिए ग्राम प्रधानों, स्कूली शिक्षकों, समितियों, गाडरें, आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं को शामिल किया जा रहा है। इससे लोग सामाजिक दूरी के महत्व को समझ सकेंगे। घातक संक्रमण से खुद को बचाने के लिए लोगों को अधिक सावधान और जिम्मेदार होना होगा।
प्रश्न: केंद्र के साथ समन्वय के बारे में आप क्या कहेंगे; क्या केंद्र ने राष्ट्रव्यापी बंद के संबंध में राज्य से सलाह ली थी या यह एकतरफा निर्णय था?
उत्तर: राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा के साथ ही हमारी सरकार केंद्र सरकार के साथ एक उत्कृष्ट समन्वय बनाए रखने में सक्षम रही है। हम प्रधानमंत्री के समक्ष राज्य हितों से जुड़े मुद्दों को ²ढ़ता से रखने में सक्षम हैं। झारखंड सरकार की पहल पर प्रवासियों की वापसी संभव हो पाई है। दूसरी बात यह है कि केंद्र सरकार पर राज्य का राजस्व कई मायनों में निर्भर करता है। जीएसटी और खदानों की रॉयल्टी के रूप में राजस्व केंद्र से प्राप्त होता है। इसके अलावा राज्य कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं को आकार देने में भी केंद्र पर निर्भर है। हम कोविड-19 पर केंद्रीय दिशानिदेशरें का पालन कर रहे हैं। राज्य में जमीनी हालात के बारे में केंद्र को लगातार जानकारी दी जा रही है।
प्रश्न: आपका ऐसा पहला राज्य है, जिसने कोटा, राजस्थान में इंजीनियरिंग और मेडिकल छात्रों सहित प्रवासी श्रमिकों को वापस बुलाया। क्या राज्य संसाधनों को देखते हुए इन श्रमिकों और पेशेवरों की देखभाल करने के लिए तैयार है?
उत्तर: हम प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की दिशा में काम कर रहे हैं। मनरेगा के तहत पहले से ही 28 लाख श्रमिकों का नामांकन किया गया है। हम वापसी करने वाले प्रवासियों को योजना से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हम रोजगार के रास्ते उपलब्ध कराने के लिए उद्योग के साथ शुरूआत कर रहे हैं, ताकि इन लोगों की आजीविका सुनिश्चित हो सके। हम ग्रामीण विकास के लिए कई योजनाओं की योजना बनाने में ग्रामीणों को शामिल कर रहे हैं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रही है कि कुशल श्रमिकों को उनके कौशल के अनुसार रोजगार मिले। अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी काम कर रही हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
प्रश्न: बेहतर प्रशासन के लिए अन्य मुख्यमंत्री भी प्रौद्योगिकी के सहारे कोशिश कर रहे हैं। आप सोशल मीडिया टूल्स के माध्यम से लोगों की समस्याओं को कैसे हल कर पाए हैं? क्या इन समाधानों ने जमीनी स्तर पर काम किया है?
उत्तर: सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है, जिसके माध्यम से लोगों के कल्याण से संबंधित जानकारी को आसानी से प्रसारित किया जा सकता है। इस मंच का उपयोग पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जा सकता है। यह लोगों तक पहुंचने का एक बड़ा माध्यम है। आपने देखा होगा कि फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से कई अन्य मंत्री लोगों की कई प्रकार की समस्याओं को हल करने में सक्षम रहे हैं।
प्रश्न: झारखण्ड एक खनिज समृद्ध राज्य है, लेकिन यहां रोजगार की गंभीर समस्याएं हैं। आप इस समस्या से कैसे निपटेंगे और घर लौटने वाले प्रवासियों के लिए नौकरियों को कैसे सुनिश्चित करेंगे?
उत्तर: देखिए, हमारी सरकार बनने के तुरंत बाद हमने पहले की योजनाओं का मोटे तौर पर अनुमान लगाया। महामारी के कारण कई योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी हुई है। जैसे ही सरकार इस संकट से बाहर निकलती है, हम बिना किसी देरी के उन योजनाओं को लागू करेंगे।
Created On :   19 May 2020 8:30 PM IST