Coronavirus Crisis: जान बचाने के साथ-साथ इकोनॉमी को बचाने का संकट, जानिए आने वाले दो हफ्ते भारत के लिए अहम क्यों?

Coronavirus Crisis: Upcoming weeks for India are very crucial
Coronavirus Crisis: जान बचाने के साथ-साथ इकोनॉमी को बचाने का संकट, जानिए आने वाले दो हफ्ते भारत के लिए अहम क्यों?
Coronavirus Crisis: जान बचाने के साथ-साथ इकोनॉमी को बचाने का संकट, जानिए आने वाले दो हफ्ते भारत के लिए अहम क्यों?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नोवल कोरोनोवायरस महामारी से पूरी दुनिया गंभीर रूप से प्रभावित है। एक तरफ लोगों की जान बचाने का संकट है तो दूसरी तरफ इकोनॉमी को भी बचाना है ताकि जिंदगी को चलाने के लिए जरूरी चीजों की कमी न हो। ऐसे में कई देशों ने अब कोरोनावायरस के मामलों के बावजूद लॉकडाउन हटाने का फैसला लिया है। इसमें ईरान जैसे देशों के अलावा कई यूरोपीय देश है जो अपने यहां चरणों में लॉकडाउन हटा रहे हैं।

भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल को समाप्त हो रही है। इस अवधि के बाद लॉकडाउन हटेगा या नहीं इस पर सरकार को फैसला लेना है। लेकिन आने वाले दो हफ्ते भारत के लिए काफी अहम साबित होने वाले है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले 6000 के पार पहुंच गए हैं। अगर हम अमेरिका, इटली और स्पेन को देखे तो यहां पर 5000 मामलों के सामने आने के बाद ही ये संक्रमण तेजी से फैला था।

दो हफ्तों में 500 से 5000 हुए केस
कोरोना का पहला केस भारत में 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। फरवरी में मामलों की संख्या सामान्य रही। अब मार्च शुरू होता है और भारत में मार्च के पहले दो हफ्ते कंट्रोल में रहते हैं। 15 मार्च के बाद तस्वीर में थोड़ा बदलाव आता है। 15-22 मार्च के बीच केस दो से तीन गुना तक बढ़ जाते हैं। ये संख्या 500 तक पहुंच जाती है। लेकिन 22 मार्च के बाद सब कुछ बदल जाता है। 22 मार्च-10 अप्रैल के बीच 500 से 5000 केस हो जाते हैं। 

भारत के लिए क्यों अहम है दो हफ्ते?
अब अगर हम 5000 केस को सैंपल साइज माने और भारत की तुलना अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों से करें तो पता चलता है कि आने वाले दो हफ्ते भारत के लिए कितने अहम है। इटली ने 5000 केसों का आंकड़ा 5 मार्च को पार कर लिया था। इसके बाद दो हफ्तों में ये आंकड़ा बढ़कर 50,000 के पार पहुंच गया। वहीं स्पेन में 10 मार्च तक 5000 केस सामने आ चुके थे और अगले दो हफ्तों में ये आंकड़ा बढ़कर 80,000 के पार चला गया। अमेरिका की हालत तो और भी खराब है। यहां पर 15 मार्त तक 5000 केस आ चुके थे। इसके बाद दो हफ्तों में ये आंकड़ा 200,000 के पार पहुंच गया।

इन तीनों देशों से हम दो-दो हफ्ते पीछे हैं। अगर लॉकडाउन का हमने सही तरीके से पालन नहीं किया तो भारत का आने वाले समय कैसे होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं स्वास्थ सुविधाओं की बात की जाए तो हम इन देशों से काफी पीछे है और हमारी आबादी भी इन देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। अमेरिका की बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक स्टडी पर नजर डाले तो हालात और भी भयावाह होते दिखाई द रहे हैं। इस स्टडी में कहा गया है कि भारत में कोरोनावायरस जून, जुलाई और अगस्त में पीक पर होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये मानसून का सीजन होगा। भारत में इसी मौसम में बीमारियों के फैलने का इतिहास रहा है।

खतरा टालना भारत के लोगों के हाथ में
एक अच्छी खबर भी है कि भारत इस इस खतरे को टाल सकता है। चूंकि इस बीमारी की अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग ही इससे बचने का एक मात्र रास्ता है। अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने एक डेटा रिलीज किया है। इसमें कहा गया है कि अगर भारत लॉकडाउन को हटाने में जल्दबाजी नहीं करेगा तो दिक्कत नहीं आएगी। इनके हिसाब से भारत को सिंतबर तक फेज वाइज मैनर में लॉकडाउन को खत्म करना चाहिए। अगर सिंतबर तक लॉकडाउन नहीं किया जा सकता तो कम से कम जून तक तो करना ही चाहिए।

जिंदगी के साथ इकोनॉमी बचाने का संकट
लॉकडाउन की वजह से कई देशों की इकोनॉमी पूरी तरह से ठप पड़ गई है। जरूरी सामानों की सप्लाई करना मुश्किल होता जा रहा है। नॉवे की प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि हम अगले हफ्ते से लॉकडाउन धीरे-धीरे हटाना शुरू करेंगे। इसकी शुरुआत नर्सरी और प्राइमरी स्कूलों को 20 को खोलने के साथ की जाएगी। डेनमार्क भी 15 अप्रैल से लॉकडाउन हटाने की तैयारी कर रहा है। ऐसा कई चरणों में किया जाएगा। देश में बीते तीन हफ्तों से लॉकडाउन है। 

Created On :   10 April 2020 7:06 AM GMT

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