कश्मीर मुद्दा : कांग्रेस ने केन्द्र की नीतियों पर उठाए सवाल, जेटली-राजनाथ ने दिए जवाब
- अरुण जेटली और राजनाथ सिंह ने दिए कांग्रेस के आरोपों पर जवाब
- कांग्रेस ने राज्य की स्थितियों के लिए मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार।
- राज्यसभा में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर हुई बहस।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों से फैली अशांति और वहां चल रही सियासी उठापटक पर राज्यसभा में गुरुवार को बहस हुई। इस दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्य की स्थिति के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद से जम्मू-कश्मीर में हिंसा बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने का भी बड़ा कारण केन्द्र सरकार की नीतियां रही हैं। कांग्रेस नेता के इन सवालों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिए। अरुण जेटली ने जहां कांग्रेस के समय राज्य की स्थितियों का उदाहरण देते हुए बताया कि कांग्रेस के समय जम्मू-कश्मीर में किस तरह से चुनाव होते थे, यह सब जानते हैं। वहीं राजनाथ सिंह ने राज्य में बढ़ती हिंसा के पीछे हुर्रियत की एक बड़ी भूमिका बताई।
गुलाम नबी ने दागे सवाल
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "बीजेपी ने कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन ये लोग हर मोर्चे पर असफल रहे। बीजेपी ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेकर राज्य में राज्यपाल शासन लगवा दिया। न विपक्षी दलों को सरकार बनाने का मौका दिया गया और न ही चुनाव होने दिए।" आजाद ने कहा, "पिछले चार साल में राज्य में हिंसा बहुत ज्यादा बढ़ी है। इस दौरान सीमा पर सबसे ज्यादा संघर्ष विराम तोड़ा गया। इससे सीधे स्थानीय नागरिकों को नुकसान होता है।"
नबी ने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए जरूरी है कि पहले वहां का इतिहास जानें। जब तक इतिहास नहीं जानेंगे, तब तक सरकारें गलती करती रहेंगी।
कांग्रेस के समय कश्मीर की क्या स्थिति थी, सब जानते हैं : अरुण जेटली
नबी के आरोपों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिए। उन्होंने कहा, "कश्मीर में सबसे पहले स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव 1977 में हुए थे और ये इसलिए संभव हो सका था क्योंकि कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। मोरार जी देसाई के नेतृत्व में कश्मीर में ये चुनाव हुए थे। यह बात हर कोई जानता है कि कांग्रेस के राज में कश्मीर में किस तरह से चुनाव होते थे और कैसे सरकारें बनाई जाती थीं।"
जेटली ने कहा, "कश्मीर में जो वादे कांग्रेस ने कर दिए, उसकी कीमत देश को अब तक चुकानी पड़ रही है। यूपीए-2 सरकार के समय को आप कश्मीर का गोल्डन पीरियड कहते हैं, लेकिन इसी समय में अलगाववादी नेताओं ने कश्मीर के लड़कों के हाथ में हथियार थमाए।" जेटली ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लड़ाई अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ है। वहां की स्थानीय पार्टियों को आतंकवाद और अलगाववाद से निपटने के लिए मतभेदों के बावजूद कुछ बातों पर सहमत होना होगा।
जेटली ने इस दौरान जनसंघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का दृष्टिकोण सही या था या पंडित जवाहरलाल नेहरू का, यह जब विश्लेषण होगा तो कांग्रेस को बहुत तकलीफ होगी।
राजनाथ ने हुर्रियत को कौसा
मोदी सरकार द्वारा कश्मीरी अलगाववादियों से बातचीत ने करने की नीति पर उठे सवालों के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिए। उन्होंने कहा, "एक धारणा बनी हुई थी कि बीजेपी के लोग हुर्रियत से बात नहीं करना चाहते हैं। इसी कारण एक ठहराव की स्थिति बनी हुई है। हमने कहा आप (ऑल पार्टी डेलिगेशन) जाइये और बात करीए। जब ये लोग बात करने गए तो उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिए।"
राजनाथ ने यह भी कहा कि अगर उन लोगों ने बात कर ली होती तो शायद कोई न कोई और रास्ता खुल जाता। उस समय की सीएम महबूबा मुफ्ती से मैंने कहा कि अगर वे हमसे बात करना चाहते हैं तो हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं। हमारा दरवाजा बिना शर्त खुला है।
Created On :   3 Jan 2019 6:21 PM IST