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दिल्ली : गरवी-गुजरात बन रहा सैलानियों का नया ठिकाना

हाईलाइट
- दिल्ली : गरवी-गुजरात बन रहा सैलानियों का नया ठिकाना
नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। दुनियाभर से आए पर्यटक अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लालकिला, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, संसद, चांदनी चौक और कुतुब मीनार देखने के सपने संजोये पहुंचा करते थे। अब मगर इन तमाम ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ, हिंदुस्तान की राजधानी पहुंचने वाले पर्यटक अकबर रोड स्थित गरवी-गुजरात का पता पूछकर वहां भी जाने को लालायित हैं।
गरवी-गुजरात की स्थापना भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर, 2019 में की हो, मगर यहां पहुंचने वालों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाले अब तक अकबर रोड को कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय के लिए ही जानते-पहचानते थे। अब देशी-विदेशी सैलानी अकबर रोड पर स्थित गरवी-गुजरात की तलाश करते भी देखे जाते हैं।
कुल जमा, अगर यह कहा जाए कि गरवी-गुजरात दिल्ली की भीड़ और भागमभाग भरी दुनिया में अलग पहचान बेहद तेज रफ्तार से बनाता जा रहा है, तो अनुचित नहीं होगा। इसे आगे बढ़ाने में जुटे गुजरात सरकार के अधिकारी नीलेश मिश्रा ने आईएएनएस से बाततीच में कहा, गरवी गुजरात ने दिल्ली की बहुमंजिली इमारतों के बीच चार-पांच महीने के भीतर जो अलग पहचान बनाई है, उससे अभिभूत होना लाजिमी है। ऐसा कोई दिन, यहां तक कि रविवार भी खाली नहीं जाता, जब यहां मौजूद गुजराती खान-पान, कला-संस्कृति और सभ्यता को करीब से देखने कोई न कोई राजनेता, अभिनेता या फिर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी न पहुंचते हों।
गरवी-गुजरात को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए दिन-रात यहीं डेरा डाले नीलेश मिश्रा ने कहा, दिन हो या फिर रात, गुजराती शिल्पकला का नायाब उदाहरण बनी यह इमारत खुद ब खुद ही देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर लेती है। देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट की छटा रात में इसकी छत से देखने का अपना अलग ही आनंद है। गुजरात की समृद्ध कला और संस्कृति का समावेश इस अद्भुत इमारत में अपने आप ही नजर आता है। किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं।
इमारत में लिप्पन कला, मोढेरा सूर्य मंदिर, कच्छ की कला, डांग के वर्ली चित्र समेत और तमाम हस्तशिल्प कला के नमूनों से इस इमारत के दर-ओ-दीवार अटे पड़े हैं। गरवी गुजरात के अंदर कदम रखते ही लगने लगता है कि हम भीड़-भाड़ वाली देश की राजधानी दिल्ली में नहीं, वरन मानो गुजरात में विचर रहे हों।
इस छह मंजिला इमारत में कल्पवृक्ष किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींचने में सक्षम है। इस वृक्ष की पूजा-अर्चना हर शुभ अवसर पर गुजरात के छोटा उदयपुर (उदेपुर) के आदिवासी किया करते हैं। छोटा उदेपुर गुजरात की तहसील है, जिसमें राठवा समुदाय के लोग इस वृक्ष को देवता-तुल्य पूजते हैं।
इसके दर-ओ-दीवार पर मौजूद कच्छ जिले की महिलाओं की हस्तकला भी मनमोहक है। पूरी इमारत में लिप्पन क्ले आर्ट का इस्तेमाल गरवी-गुजरात की खुबसूरती को और भी बढ़ा देता है। बांधनी और पटोला साड़ी का इन-ले-वर्क भी आपको गरवी-गुजरात जैसा दिल्ली में और कहीं नहीं देखने को मिलेगा।
इस अद्भुत इमारत की नींव से लेकर इसे मौजूदा रूप में आने तक इसके निर्माण कार्य से जुड़े रहने वाले गुजरात सरकार के अधिकारी नीलेश मिश्रा ने आईएएनएस को बताया, गरवी-गुजरात ही दिल्ली में इकलौती वो जगह बनी है, जिसमें गुजरात की बाबड़ियों की वास्तुकला भी देखने को मिलती है। गुजरात के खुबसूरत इतिहास में बाबड़ियों का महत्व सदियों पुराना बताया जाता है। आज के वक्त में इसे जल प्रबंधन प्रणाली में भू-जल संसाधनों के उपयोग की सर्वोत्तम तकनीक के बतौर भी देखा-समझा जा रहा है। गुजरात के रानी के बाब को सन् 2014 में यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट के लिए भी नामित किया जा चुका है।
मोढेरा सूर्य मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला भी इसी गरवी-गुजरात के दर-ओ-दीवार में साफ-साफ समाहित दिखाई देती है। बताया जाता है कि हाल ही में गरवी-गुजरात घूमने पुरस्कार विजेता गुजराती फिल्म हेलारो के कलाकार भी पहुंचे थे।
एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा सिर्फ दो साल में खड़ी कर दी गई इस गरवी गुजरात की एक छत के नीचे गुजराती कला, संस्कृति, शिल्प, सभ्यता, खाना सब कुछ सिमटा हुआ है। अगर यह कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा।
गुजरात की स्थानीय आयुक्त (रेजीडेंट कमिश्नर) आरती कंवर ने आईएएनएस को बताया, देश की राजधानी दिल्ली में गुजरात भवन की एक इमारत काफी पहले से थी। गरवी गुजरात जैसी अद्भुत और दूसरे गुजरात भवन की इमारत का निर्माण प्रधानमंत्री मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी और उप-मुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल का सपना था, जो अब साकार हुआ और जमाना देख रहा है। हर आम-ओ-खास इसकी भव्यता का गवाह बन रहा है।
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