दिल्ली : एसीपी के वायरल वीडियो के बाद एसएचओ के फर्जी आदेश से कोहराम
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर पश्चिमी दिल्ली जिला पुलिस के लिए बुधवार का दिन बेहद मुश्किलों और अफवाहों से भरा रहा। दिन भर जिला पुलिस खुद के अफसरों को लेकर फैली अफवाहों और फर्जी खबरों का खंडन करने से ही जूझती रही। पहले जिला पुलिस माडल टाउन सब-डिवीजन के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अजय कुमार का कथित संपादित वीडियो को लेकर साफ-सफाई में जुटी रही। एसीपी के कथित वीडियो का मामला शांत हो पाता, तब तक एक एसएचओ द्वारा जारी कथित फर्जी आदेश ने दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा दी।
मीडिया से हमेशा दूरी बनाकर रखने वाली जिला पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्या दिन भर इन खबरों को लेकर मीडिया से ही माथा-पच्ची करने में बेहाल रहीं। हालांकि, दोपहर होते-होते मीडिया के सवालों से हलकान हो चुकीं जिला डीसीपी विजयंता आर्या ने, जबाब देकर अफवाहों को विराम देने का पूरा वजन महकमे के जनसंपर्क विभाग के माथे मढ़ कर जैसे-तैसे खुद का पिंड मीडिया से छुड़ाया।
दरअसल हुआ यह कि सुबह-सुबह सोशल मीडिया पर बुधवार को एक वीडियो वायरल हो गया। वीडियो में उत्तर पश्चिमी जिला डीसीपी विजयंता आर्या के मातहत मॉडल टाउन सब-डिवीजन के सहायक पुलिस आयुक्त अजय कुमार, कथित रूप से मुखर्जी नगर थाना इलाके में पीजी में रहने वाले बिचारे निरीह विद्यार्थियों को धारा-144 के हौवे से डराते-धमकाते दिखाई सुनाई दे रहे हैं।
सोशल मीडिया पर एसीपी के इस कथित वायरल वीडियो (जिसे बाद में दिल्ली पुलिस मुख्यालय के जन-संपर्क विभाग ने काट-छांटकर बनाया हुआ करार दे दिया) ने दिल्ली पुलिस का चैन छीन लिया। वीडियो में एसीपी अपने कुछ मातहतों के साथ रात के वक्त दे रहे भाषण में पानी पी-पीकर हड़काते दिखाई सुनाई दे रहे थे। इतना ही नहीं काट-छांटकर बनाये गये इस वीडियो में एसीपी साहब विद्यार्थियों का भविष्य तक तबाह कर डालने की कथित धमकी देते दिखाई सुनाई दे रहे हैं। ऐसे में वीडियो सही था या गलत? यह बाद में तय होता रहता..हां अगर दिल्ली पुलिस मुख्यालय के जन-संपर्क विभाग ने बबाली वीडियो के वजन को अपने कंधों पर उठाकर मीडिया को सही तथ्यों की जानकारी न दे दी होती, तो बबाल कहीं से कहीं पहुंचने में देर नहीं लगती।
वीडियो का बबाल अभी शांत भी नहीं हुआ था, तब तक दोपहर बाद मुखर्जी नगर थाने के एसएचओ के द्वारा जारी एक कथित आदेश ने कोहराम मचा दिया। कोहराम मचा देने वाले आदेश का मरा सांप भी उत्तर-पश्चिमी जिला पुलिस के ही अधिकारियों के गले में जाकर पड़ गया। क्योंकि मुखर्जी नगर थाना इसी जिले में स्थित है।
एसएचओ मुखर्जी नगर की ओर से हिंदी में जारी और इलाके में दीवारों पर चिपकाये जा चुके इस कथित आदेश में कहा गया था कि, सभी कोचिंग एवं पीजी वालों को सूचित किया जाता है कि, दिनांक 24 दिसंबर 2019 से 2 जनवरी 2020 तक सभी कोचिंग एवं पीजी बंद रहेंगे। अगर कोई भी कोचिंग एवं पीजी खुला पाया गया तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना या उसका पीजी या कोचिंग सील कर दिया जायेगा।त यह आदेश 23 दिसंबर 2019 को जारी किया गया था। यह आदेश फर्जी था, आईएएनएस को इसका अंदाजा इसकी भाषा से शुरू में लग गया।
इस आदेश के फर्जी होने की पुष्टि इससे भी हो रही है कि मजमून के अंत में भी एसएचओ मुखर्जी नगर लिखा गया है। जबकि पत्र की शुरूआत भी श्रीमान महोदय, थाना एसएचओ मुखर्जीनगर से ही की गई है। सवाल यह पैदा होता है कि आखिर, जब आदेश एसएचओ मुखर्जी नगर की ओर से ही जारी हुआ है तो फिर पत्र की शुरुआत में ही एसएचओ खुद को श्रीमान महोदयजी से क्यों संबोधित करेंगे?
बहरहाल, बुधवार देर रात दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल ने आईएएनएस से बात करके दोनों मामलों की हकीकत का पटाक्षेप किया। उन्होंने कहा, एसीपी मॉडल टाउन का कथित वीडियो पहली नजर में काटछांट कर (संपादित) बनाया हुआ लगता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को इस वीडियो को तुरंत हटाने के लिए कहा गया है, जबकि एसएचओ मुखर्जी नगर के फर्जी आदेश (चिट्ठी) के बाबत, आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच जारी है।
Created On :   25 Dec 2019 10:30 PM IST