पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से फिर बिगड़ रहीं दिल्ली की हवा
- पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से फिर बिगड़ रहीं दिल्ली की हवा
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। पंजाब, हरियाणा सहित आसपास के राज्यों में पराली जलाने की वजह से राजधानी सहित इसके आसपास के क्षेत्रों में हवा की स्थिति दोबारा फिर से बिगड़ती जा रही है। बुधवार को यहां वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। यह वायु के प्रदूषित होने की महज शुरुआत भर है, जिसके प्रभाव के बने रहने की संभावना तीन महीने तक है।
पराली जलाए जाने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में हर जाड़े के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर पहुंच जाता है। ये हवा में समाए पानी के कणों के साथ मिलकर कोहरे का रूप धारण कर लेती है, जिससे यहां रहने वाले निवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 35 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से वायु गुणवत्ता सूचकांक 22 से अधिक स्टेशनों में है, जिनमें आरके पुरम, रोहिणी खराब श्रेणी में आते हैं। आईजीआई एयरपोर्ट और जेएनयू समेत बारह स्टेशन मध्यम श्रेणी में शामिल किए गए हैं, जबकि एक स्टेशन को बेहद खराब श्रेणी के तहत रखा गया है।
पश्चिम दिल्ली में मुंडका के पास समग्र वायु गुणवत्ता 308 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक के हिसाब से बेहद खराब श्रेणी में रही। इसके बाद 290 के साथ दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) इलाका दूसरे नंबर पर है। प्रदूषित वायु का असर हमारे फेफड़े पर पड़ता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में परालियों के जलाए जाने की संख्या 336 है।
आईएमडी के क्षेत्रीय पूवार्नुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया, 15 से 20 अक्टूबर के बीच तापमान और हवा की गति में कमी होने के चलते स्थिति के बिगड़ने की संभावना और ज्यादा है, जिसका प्रभाव वायु की गुणवत्ता पर पड़ेगी।
इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग काउंसिल के सीईओ कमल नारायण ने कहा कि कोविड-19 के दौरान वायु प्रदूषण से निपटने की आवश्यकता है, क्योंकि दोनों के संयोजन से लोगों के स्वास्थ्य पर अधिक हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। पराली को जलाए जाने की एक किफायती विकल्प की व्यवस्था किसानों के लिए करनी होगी, जो कि इस वक्त समय की मांग है।
एएसएन/एसजीके
Created On :   7 Oct 2020 6:30 PM IST