सामान्य वर्ग आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची DMK, कहा- असंवैधानिक है फैसला

DMK filed a petition in Court against reservation to general category
सामान्य वर्ग आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची DMK, कहा- असंवैधानिक है फैसला
सामान्य वर्ग आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची DMK, कहा- असंवैधानिक है फैसला
हाईलाइट
  • DMK ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
  • DMK का अनुरोध है कि जल्द से जल्द संविधान में सामान्य वर्ग को आरक्षण के लिए हुए संशोधन के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए।
  • DMK का कहना है कि सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। देशभर की राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियां सामान्य वर्ग आरक्षण के समर्थन में हैं लेकिन कुछ दल ऐसे भी हैं, जो इसके सख्त खिलाफ हैं। इनमें तमिलनाडु का मुख्य विपक्षी दल DMK भी शामिल है। DMK ने शुक्रवार को सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। DMK का कहना है कि सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। DMK का अनुरोध है कि जल्द से जल्द संविधान में सामान्य वर्ग को आरक्षण के लिए हुए संशोधन के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए।

डीएमके के संगठन सचिव आरएस भारती ने हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि आरक्षण को गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की तरह नहीं देखना चाहिए। इसका उद्देश्य उन समुदायों को आगे लाना है जो सदियों से शिक्षा या रोजगार से वंचित रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय की है। ऐसे में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है।

गौरतलब है कि सामान्य वर्ग को आरक्षण देने सम्बंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले शनिवार को मंजूरी दी थी। बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद सरकार ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी थी। इसके बाद गुजरात, यूपी समेत अन्य राज्यों में एक के बाद एक यह आरक्षण व्यवस्था लागू हो रही है।

बता दें कि संसद के शीत सत्र में इस बिल को पास किया गया था। संसद के दोनों ही सदनों में सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने इस बिल को पेश किया था। लोकसभा में इस बिल पर जहां 5 घंटे चर्चा चली थी, वहीं राज्यसभा में इस पर 10 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई थी। दोनों ही सदनों में AIADMK, AIMIM और RJD के अलावा सभी दलों ने बिल को अपना समर्थन दिया था।

Created On :   18 Jan 2019 3:15 PM GMT

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