भवानीपुर में दिलचस्प होगा चुनावी नजारा, प्रियंका ही नहीं ममता दीदी को टक्कर देने मैदान में उतरी अचार बेचने वाली

Entered the electoral fray to give competition to Mamta Banerjee
भवानीपुर में दिलचस्प होगा चुनावी नजारा, प्रियंका ही नहीं ममता दीदी को टक्कर देने मैदान में उतरी अचार बेचने वाली
दीदी से टकराएगी अचार वाली भवानीपुर में दिलचस्प होगा चुनावी नजारा, प्रियंका ही नहीं ममता दीदी को टक्कर देने मैदान में उतरी अचार बेचने वाली
हाईलाइट
  • चुनावी मैदान में उतरी आचार बेचने वाली

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पंश्चिम बगाल में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आ रहा है। चुनावी बयार तेजी से बहने लगी है। पंश्चिम बंगाल के इस उपचुनाव का रोमांच भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से कम नहीं आंका जा रहा है। शायद इसीलिए ममता बनर्जी भवानीपुर उपचुनाव के लिए अपनी प्रतिष्ठा लगा दी हैं, क्योंकि ममता को पता है कि यदि भवानीपुर उपचुनाव में उनका विकेट गिरता है तो फिर उनको मैदान छोड़ना पड़ेगा। गौरतलब है कि ममता बनर्जी पहले ही नंदीग्राम विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। इसलिए उनको भवानीपुर उपचुनाव हर हालत में जीतना मजबूरी बन गई है। संवैधानिक बाध्यता को दूर कर ही ममता अब अपने पद पर बनीं रह सकती हैं। बता दें कि मंत्री बनने के बाद 6  माह के भीतर ही विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी है। ऐसा ना होने पर अपने पद को छोड़ना पड़ता है। 

आखिर में भवानीपुर उपचुनाव क्यों है रोमांचक?

बता दें कि भवानीपुर उपचुनाव इसलिए दिलचस्प होता दिख रहा है क्योंकि यहां ममता को 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में टक्कर दे रहें हैं। मजेदार बात यह है कि इस हाईप्रोफाइल सीट पर आचार बेचने वाले से लेकर योगा ट्रेनर व स्कूल प्रिंसिपल तक ममता बनर्जी को टक्कर देने के लिए मैदान पर उतर चुके हैं। कोई बदलाव के लिए तो कोई मनोरंजन के लिए ममता के खिलाफ चुनाव लड़ रहा है। बता दें कि 12 प्रत्याशियों में से छह उम्मीदवार निर्दलीय हैं। वहीं तीन छोटे दलों से हैं। जबकि ममता को बीजेपी की प्रियंका टिबरेवाल कड़ी टक्कर दे रही हैं। भवानीपुर सीट से ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने चुनाव को रोमांचक बना दिया है। 

बंगाल में बदलाव की लड़ाई

बता दें कि भारतीय न्याय अधिकार रक्षा पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाली योगा ट्रेनर स्वर्णलता सरकार और बहुजन महा पार्टी से स्टेशनरी दुकान के मालिक मंगल सरकार भी चुनाव को लेकर गंभीर हैं। उनका कहना है कि बदलाव लाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। 

लाइम लाइट की खातिर चुनाव मैदान में

स्वयं सहायता समूह व आचार का प्रबंधन करने वाली रूमा नंदन की मानें तो ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़कर फेमस होना चाहती हैं। रूमा का कहना है कि इसमें उन्हें सामाजिक कार्यों में मदद मिलेगी। वहीं 60 साल के सुब्रत बोस और 50 साल के मलय रॉय का कहना है कि वे मनोरंजन के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि बोस नंदीग्राम में भी ममता के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। उस चुनाव में बोस को 77 वोट मिले थे। 

ममता हो रही हैं बीजेपी पर हमलावर

ममता आजकल बीजेपी पर हमलावर हो रही हैं, एक जनसभा में ममता ने कहा, ""नरेंद्र मोदी जी, अमित शाह जी, हम आपको भारत को तालिबान जैसा नहीं बनाने देंगे, भारत एकजुट रहेगा। उधर ममता ने ये भी कहा कि बीजेपी झूठ बोलती है कि हम राज्य में दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा की इजाजत नहीं देते हैं, वो "जुमला पार्टी" है। 
 

Created On :   22 Sep 2021 2:21 PM GMT

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