जेवर के लिए जमीन देने वाले किसान, इस हालात में दिन गुजारने को हुए मजबूर!

जेवर की चमक, किसानों की कसक जेवर के लिए जमीन देने वाले किसान, इस हालात में दिन गुजारने को हुए मजबूर!
हाईलाइट
  • यूपी का 'जेवर' बनने के पीछे की कड़वी हकीकत

डिजिटल डेस्क, नोएडा। 25 नवंबर को उत्तरप्रदेश में विकास की एक नई इबारत लिखी जाने वाली है। यूपी के जेवर में एक नए एयरपोर्ट का शिलान्यास करने खुद पीएम नरेंद्र मोदी गौतमबुद्ध नगर पहुंचने वाले हैं। दावा किया जा रहा है कि जेवर न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश का सबसे बड़ा, सबसे आलीशान एयरपोर्ट होगा। जो यूपी के विकास को नए आयाम देगा। एयरपोर्ट को लेकर कसीदे गढ़े ही जा रहे हैं कि इस बीच इसके पास फिल्म सिटी के निर्माण का भी ऐलान हो चुका है। जाहिर है विकास के लिए जमीन की कीमत ही चुकानी पड़ती है। और जमीन अन्नदाता के हिस्से से मांगी या छीन ली जाती है। जेवर के मामले में भी कई कही अनकही कहानियां हैं। जिनका सबब ये है कि किसानों को नए घर देने के नाम पर उनकी जमीन अधिग्रहित की गई। अब उनकी लहलहाती फसलों वाली जमीन पर ऊंची बिल्डिंगे सीना तान कर खड़ी होने के लिए तैयार हैं। पर, किसान का क्या उसकी आपबीती कुछ और ही कहती है।
नवभारत टाइम्स ने ऐसे किसानों और परिवारों से मुलाकात की है जिनकी जमीन जेवर के नाम पर अधिग्रहित हो गई। उन किसानों के हिस्से क्या आया। सुनेंगे तो चौंक जाएंगे। किसानों को जानने से पहले ये समझिए कि जेवर आखिर क्या जगह जो इतने दिनों से सुर्खियों में हैं। दरअसल जेवर नोएडा के नजदीक एक गांव हैं। जो अचानक देश ही नहीं बल्कि दुनिया के नक्शे पर हाईलाइड हो रहा है। यहां जिस एयरपोर्ट को बनाने का प्रस्ताव है वो सिर्फ जेवर ही नहीं उसके आसपास नोएडा, फरीदाबाद से लेकर मथुरा और आगरा तक के डेवलपमेंट में मददगार होगा।

किसानों की आपबीती
जेवर को डेवलेप करने के लिए आस पास के छह गांव खाली कराए गए हैं जिन्हें सेक्टर की तर्ज पर डेवलप किया जाएगा। यमुना अथॉरिटी की तरफ से इन गांवों के तीन हजार परिवारों को जगह दी गई है। जिस सेक्टर में इन्हें बसाया जाएगा वहां बिजली, पानी और सड़क की व्यवस्था करना भी अथॉरिटी की ही जिम्मेदारी है। पर हकीकत और जिम्मेदारी का एक दूसरे से कोई मेल नहीं है। 
विस्थापित हुए लोगों के मुताबिक जो घर उन्हें दिए गए हैं उनमें दरारें आई हुई हैं। बिजली, पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के भी अतेपते नहीं है। कुछ किसान तो ऐसे हैं जिन्हें अब तक घर मिला ही नहीं है। ये किसान अपने परिवार के साथ तंबू बांधकर दिन बिताने को मजबूर हैं। कुछ किसान परिवारों का दावा ये भी है कि उन्हें अब तक मुआवजा भी नहीं मिला है। जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका भी डाली है।


 

Created On :   24 Nov 2021 9:10 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story