ईरान पर लगे तेल प्रतिबंधों का असर, भारत की यूएस से ऑइल इंपोर्ट में बंपर बढ़ोतरी

Filling Iran oil gap in India, US supplies outshine Middle East crude
ईरान पर लगे तेल प्रतिबंधों का असर, भारत की यूएस से ऑइल इंपोर्ट में बंपर बढ़ोतरी
ईरान पर लगे तेल प्रतिबंधों का असर, भारत की यूएस से ऑइल इंपोर्ट में बंपर बढ़ोतरी
हाईलाइट
  • भारत के अमेरिका से कच्चे तेल के आयात में बंपर बढ़ोतरी हुई है
  • मध्यपूर्व देशों से होने वाले कच्चे तेल के आयात को ये पार कर गई है
  • शिपिंग और उद्योग स्रोतों से मिले टैंकर डेटा में ये जानकारी सामने आई है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के ईरान पर नवंबर 2018 से लागू हुए तेल प्रतिबंधों के चलते भारत सहित कई देशों ने ईरान से तेल आयात बंद कर दिया है। ऐसे में अपनी तेल आपूर्ति को पूरा करने के लिए भारत ने नवंबर-2018 से मई-2019 के बीच अमेरिका से तेल का आयात पिछले साल की इसी अवधी की तुलना में चार गुणा से ज्यादा किया। मिडिल ईस्ट देशों से होने वाले कच्चे तेल के आयात को भी ये पार कर गया है। सूत्रों के हवालों से मिले टैंकर अराइवल डाटा में ये बात सामने आई है।

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का दूसरा चरण नवंबर 2018 के पहले हफ्ते से लागू हो गया था। हालांकि, प्रतिबंध के लागू होते ही अमेरिका ने 8 देशों को अस्थायी रूप से ईरानी तेल खरीदी जारी रखने की अनुमति दे दी थी। इन आठ देशों में चीन, भारत, ग्रीस, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया थे। ईरानी तेल खरीदी जारी रखने की छूट 2 मई को खत्म हो गई थी। इस कारण भारत के तेल आयात पर जबरदस्त तरीके से फर्क पड़ा था।

भारत जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, ने संयुक्त राज्य अमेरिका से नवंबर 2018 से मई 2019 तक लगभग 184,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तेल खरीदा। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में भारत ने लगभग 40,000 बीपीडी तेल खरीदा था। इस अवधि में भारत जो मई तक ईरान का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक था, ने ईरान से 48% कम लगभग 275,000 बीपीडी तेल खरीदा।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, जो मंगलवार को नई दिल्ली में होंगे, ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत को वाशिंगटन से तेल और गैस खरीद को बढ़ावा देना चाहिए ताकि वह वेनेजुएला और ईरान जैसे देशों से तेल आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर सके।

ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों का पिछला दौर - जो 2012 में शुरू हुआ और 2016 में समाप्त हुआ था - ने सऊदी अरब और इराक को अपने एशियाई बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका दिया था। भारत ने ईरानी तेल के अंतर को भरने के लिए उस अवधि में वेनेजुएला से तेल आयात बढ़ाया था।

लेकिन अब बाजार के डायनमिक्स बदल गए हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का शीर्ष तेल उत्पादक बन गया है। वेनेजुएला का तेल उत्पादन अब घट रहा है।

एनर्जी कंसलटेंसी एफजीई में एशिया ऑइल की निदेशक पारावैक्करासु ने कहा, "सऊदी ग्रेड महंगा है और इराक में अतिरिक्त तेल बेचने की सीमित क्षमता है। इसीलिए भारतीय रिफाइनर को यूएस के ऑइल पर निर्भर रहना होगा इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिल ईस्ट ग्रेड के उच्च आधिकारिक बिक्री मूल्य (ओएसपी) और बढ़ते स्पॉट प्रीमियम भी भारत को अधिक अमेरिकी तेल खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

डेटा के अनुसार, मई तक सात महीनों के दौरान भारत के सऊदी तेल का आयात 11% बढ़कर 804,000 बीपीडी हो गया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात से 37% बढ़कर लगभग 360,000 बीपीडी हो गया। इराक के आयात में 3.3% से 1.01 मिलियन बीपीडी की गिरावट आई है।

Created On :   24 Jun 2019 3:30 PM GMT

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