मछुआरा समुदाय और नाव मालिकों ने प्रधानमंत्री से सुरक्षा की गुहार लगाई

Fishermen community and boat owners urge Prime Minister for safety
मछुआरा समुदाय और नाव मालिकों ने प्रधानमंत्री से सुरक्षा की गुहार लगाई
मछुआरा समुदाय और नाव मालिकों ने प्रधानमंत्री से सुरक्षा की गुहार लगाई
हाईलाइट
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अहमदाबाद, 29 सितंबर (आईएएनएस)। गुजरात में नाव मालिकों की प्रमुख संस्था ने मंगलवार को अपनी जिंदगी और आजीविका की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। संस्था ने कहा कि राज्य और देशभर का मत्स्य उद्योग और मछुआरा समुदाय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वे सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें समुद्र में आधुनिक डिजिटल कनेक्टिविटी नहीं मिल पाती। संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस सिलसिले में पत्र लिखा है।

वेरावल के नाव मालिकों की संस्था खारवा संयुक्ता मच्छीमार बोट ऐसोसिएशन तकनीकी अमल के लिए भारतीय मछुआरों को समर्थन दे रही है। इस संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मछुआरों की चिंता निवारण के लिए उनसे सीधा हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

संस्था के मुताबिक, प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की दरकार इसलिए है कि अगली पीढ़ी के डिजिटल व सैटेलाइट संचार तकनीकों को अमल में लाया जाना जरूरी है, ताकि मछुआरे ज्यादा मात्रा में मछलियां पकड़ सकें, वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें, समुद्री तूफानों से मछुआरों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके तथा मत्स्य उद्योग को आधुनिक बनाकर उसकी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।

वेरावल के नाव मालिकों की संस्था खारवा संयुक्ता मच्छीमार बोट ऐसोसिएशन के अध्यक्ष तुलसीभाई गोहेल ने समुदाय की चुनौतियों के बारे में कहा, हमारे समक्ष ऐसे मुद्दे लगातार बने रहते हैं जो हमारी जिंदगी और आजीविका के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं, जिससे हमारे समुदायों व परिवारों के कल्याण पर दुष्प्रभाव होता है। मछुआरे अक्सर बीच समुद्र में फंस जाते हैं, वक्त पर सूचना नहीं मिलने और एसओएस डाटा क्षमता के अभाव में उनकी जान चली जाती है।

गोहेल ने कहा, हमारी नावें और मछुआरे नियमित रूप से पड़ोसी देशों द्वारा पकड़ लिए जाते हैं। हाल ही में 15 सितंबर को पाकिस्तान ने 49 मछुआरों को पकड़ लिया था। हमें इस बात का गर्व है कि हम देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान देते हैं, और हम रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर यह योगदान करते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए हमें सरकारी हस्तक्षेप की तत्काल जरूरत है।

उन्होंने जोर देकर कहा, हालांकि ऐसी उन्नत और किफायती तकनीक उपलब्ध है जो हमें फायदा पहुंचा सके, लेकिन हमें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा, क्योंकि न तो केंद्र सरकार ने और न ही राज्य सरकारों ने इस पर अमल किया है। उदाहरण के लिए हमने बीएसएनएल के ट्रांस्पोंडर का परीक्षण किया है, सैटेलाइट के जरिए उस पर दो-तरफा डाटा संचार होता है और वह गहरे समुद्र में भी काम करता है। प्रधानमंत्री की दूरदर्शी प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाय) समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा व कुशलता का वादा करती है। इस योजना की रोशनी में हमारा सरकार से निवेदन है कि नवीनतम टेक्नोलॉजी के अमल में और अधिक देरी न की जाए, क्योंकि जितनी देरी होगी, जिंदगियों का उतना ही नुकसान बढ़ेगा। हर सप्ताह हम समुद्र में अपने भाइयों को खो देते हैं। हमें आज ही इसका समाधान चाहिए।

कोविड के इस दौर में यह अनिवार्य है कि मछुआरे खुले समुद्र में जाते हुए सुरक्षित महसूस करें, तभी वे देश की खाद्य सुरक्षा में योगदान दे पाएंगे और अपनी मेहनत की कमाई अपने परिवार के कल्याण के लिए खर्च कर सकेंगे। कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन ने समुद्र में मछली पकड़ने वालों पर बहुत गहरा असर किया है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, मत्स्य उद्योग को रोजाना 224 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

नई सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के आने से आज भारत को ऐसी सेवाओं तक पहुंच प्राप्त है जो सर्वव्यापी कवरेज द्वारा मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, जिससे मछुआरों को खराब मौसम, तूफान या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा में भी संप्रेषण करने में मदद मिलती है।

सुरक्षा वृद्धि के साथ टेक्नोलॉजी मछुआरों को उत्पादकता बढ़ाने और समुद्र से ही ईकॉमर्स सौदे करने में भी सहायक होती है। दो-तरफा डाटा सिस्टम के जरिए अब यह आसान हो गया है कि समुद्र में मौजूद मछुआरों को मछलियों की लोकेशन के बारे में जानकारी दी जा सके। इस प्रकार मांग और आपूर्ति का सही मेल कराने में मदद मिलती है। साथ ही मछुआरों को बाजार तक पहुंच प्राप्त होती है और वे समुद्र से ही अपनी मछलियों का अच्छे दामों पर सौदा कर सकते हैं।

मत्स्य उद्योग बढ़ता हुआ क्षेत्र है, 2.8 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसमें रोजगार मिला हुआ है और इससे जुड़ी मूल्य श्रंखला में और भी बहुत से लोग रोजगार कर रहे हैं। लेकिन, यह क्षेत्र निरंतर मछुआरों की मृत्यु जैसे गंभीर मुद्दे से जूझता रहता है। आज देश के मछुआरे बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाय) के तहत सरकार निर्णायक कदम उठाए।

इंडियन फिशरमैन फॉर टेक्नोलॉजी अडॉप्शन उन मुद्दों को सामने लाता रहेगा, जिनसे भारतीय मछुआरों को जूझना पड़ता है। यह बहुत अहम क्षेत्र है और इसके डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान दिया जाता रहेगा, ताकि मछुआरों को सीधा लाभ मिले। इससे देश भी लाभान्वित होगा। आगे और किसी त्रासदी को रोकने के लिए तत्काल कार्यवाही करनी ही होगी।

एसजीके

Created On :   29 Sept 2020 3:31 PM IST

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