पहली बार सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ जमानत, स्थानांतरण मामलों की सुनवाई करेगी
नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट में आगामी 13 मई को पहली बार एकल पीठ की व्यवस्था होगी, जो जमानत आदेश से जुड़ी विशेष अनुमति याचिकाओं और सभी प्रकार के स्थानांतरण मामलों की सुनवाई करेगी।
मामलों के लंबित रहने की अवधि लगातार बढ़ते रहने की पृष्ठभूमि में शीर्ष न्यायालय का यह निर्णय मायने रखता है कि इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ स्थानांतरण याचिकाओं और सात साल तक सजा के प्रावधान वाले अपराधों से संबंधित जमानत आदेशों से जुड़ी विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई करेगी।
अभी तक सुप्रीम कोर्ट में न्यूनतम दो न्यायाधीशों की पीठ किसी मामले की सुनवाई करती रही है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कोर्ट संख्या-1 में भी तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करती है।
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 145 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए और राष्ट्रपति की मंजूरी से सक्षम प्राधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 में संशोधन किया है, जिसे 18 सितंबर, 2019 को भारतीय राजपत्र में प्रकाशित किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 को संशोधित किया गया है, जिसके अनुसार जिस श्रेणी के मामले एकल पीठ द्वारा सुने औैर निपटाए जा सकते हैं, उनमें सात साल की सजा के प्रावधान वाले दंडात्मक अपराधों में सीआरपीसी की धारा 437, 438 या 439 के तहत पारित आदेश से जुड़े मामलों में जमानत याचिका या अग्रिम जमानत याचिका को अनुमति देने या खारिज करने से से जुड़ी विशेष अनुमति याचिकाएं शामिल होंगी।
नोटिस में प्रधान न्यायाधीश द्वारा नियुक्त एकल पीठ द्वारा सुने जाने और निपटारा किए जाने वाले मामले की अन्य श्रेणियां भी दी गई हैं। इसमें सीआरपीसी की धारा 406 के तहत मामलों के स्थानांतरण से जुड़े आवेदन और नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 25 के तहत मामलों के स्थानांतरण के एक आवश्यक प्रकृति के आवेदन शामिल होंगे।
Created On :   11 May 2020 11:01 PM IST