पढ़िए राष्ट्रपति कोविंद का वो आदेश, जिसने कश्मीर से हटाई धारा 370

Full text of Presidents resolution to revoke Article 370 in Jammu Kashmir
पढ़िए राष्ट्रपति कोविंद का वो आदेश, जिसने कश्मीर से हटाई धारा 370
पढ़िए राष्ट्रपति कोविंद का वो आदेश, जिसने कश्मीर से हटाई धारा 370
हाईलाइट
  • अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर दो संकल्प और दो बिल पेश किए
  • धारा 370 के जरिए घाटी को जो विशेषाधिकार मिले हुए थे
  • वह खत्म हो गए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा दी गई मंजूरी को पेश किया। शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर दो संकल्प और दो बिल पेश किए। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड ‘1’ के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए और राज्य सरकार की सहमति से अनुच्छेद 35ए यानि संविधान (जम्मू कश्मीर के संदर्भ में) आदेश 1954 को समाप्त कर दिया है।

 



घाटी को धारा 370 के जरिए जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वह खत्म हो गए हैं। इसके अलावा मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। अब लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे।

इस प्रस्ताव को पेश करते हुए अमित शाह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया मंजूरी पत्र भी पेश किया। अमित शाह ने उस संकल्प पत्र को भी पढ़ा। जिसमें जम्मू कश्मीर पर राष्ट्रपति ने अपना फैसला सुनाया था। हालांकि अमित शाह के द्वारा इस बिल को पेश करने के बाद राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 के खंड 2 और खंड 3 को हटा दिया गया है, सिर्फ खंड एक को रखा गया है। राष्ट्रपति ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के बाद राज्यसभा मे तुरंत जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन का प्रस्ताव भी पेश किया गया। राष्ट्रपति की मजूंरी के बाद अब जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांट दिया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग करके इन दोनों को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है। यानी की अब घाटी को मिले सभी विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया गया है।

विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। सड़कों पर भी उतरकर विपक्ष सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध करने लगा। फैसले के बाद अब घाटी में जवानों की तैनाती को बढ़ाया जा रहा है। इस फैसले के तुरंत बाद भी घाटी में सीआरपीएफ के 8000 जवानों को भेजा गया है। इसके साथ ही वायुसेना को भी जम्मू कश्मीर में अलर्ट पर रखा गया है। 

Created On :   5 Aug 2019 7:54 AM GMT

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