Gujarat Election: कब-कब हुआ उलटफेर, कैसे गलत साबित हुए Exit Poll, जानिए पूरा गणित

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Gujarat Election: कब-कब हुआ उलटफेर, कैसे गलत साबित हुए Exit Poll, जानिए पूरा गणित
Gujarat Election: कब-कब हुआ उलटफेर, कैसे गलत साबित हुए Exit Poll, जानिए पूरा गणित

डिजिटल डेस्क, भोपाल। गुजरात में 182 सीटों के लिए चुनाव हो चुके हैं। सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई है। ज्यादातर एक्जिट पोल की मानें तो गुजरात में बीजेपी की सरकार बनते दिख रही है। गुजरात में गुरुवार को वोटिंग खत्म होते ही एग्जिट पोल के नतीजे आने लगे। इसके मुताबिक गुजरात और हिमाचल दोनों में भाजपा सरकार बनाने जा रही है। सर्वे का औसत निकालें तो गुजरात में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 66 सीटें मिल सकती हैं। ऐसा हुआ तो गुजरात में 22 साल से काबिज भाजपा छठी बार सरकार बनाएगी।

गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 सीटों के लिए कुल 67.75% वोटिंग हुई। यह पिछले चुनाव से 3.55% कम है। 2012 में 182 सीटों पर 71.30% वोटिंग हुई थी। दूसरे और आखिरी चरण में गुरुवार को 14 जिलों की 93 सीटों पर 68.70% वोटिंग हुई। 2012 में इन 93 सीटों पर कुल 72.6% वोटिंग हुई थी। यह 67.75% वोटिंग राज्य में 12 विधानसभा चुनावों और 55 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा है। सबसे अधिक 77% वोटिंग साबरकांठा और सबसे कम 60% वोटिंग दाहोद जिले में हुई।

शनिवार को पहले फेज में 19 जिलों की 89 सीटों पर करीब 66.75% वोटिंग हुई थी। गुजरात चुनाव के नतीजे 18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों के साथ आएंगे। इन 182 सीटों पर 1828 उम्मीदवार मैदान में हैं। करीब 4.35 करोड़ मतदाता थे। 2012 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 115 और कांग्रेस ने 61 सीटें जीतीं थीं। 
 
गुजरात में अभी भाजपा के पास 115 और कांग्रेस के पास 61 सीटें हैं। पोल के अनुसार 22 साल से सत्ता में काबिज भाजपा की सरकार अगले 5 साल तक भी बरकरार रहेगी।

5 एजेंसियों का औसत, गुजरात में 182 सीटें, गुजरात में भाजपा 100 के पार, कांग्रेस 70 के नीचे"

आजतक-एक्सिस भाजपा- को 99-113, कांग्रेस को 68-82 अन्य को 1-4 
न्यूज24-टुडेज चाणक्य- भाजपा को 135, कांग्रेस को 47, अन्य को 0-3 
टाइम्सनाउ-वीएमआर- भाजपा को 109, कांग्रेस को 70, अन्य को 03 
रिपब्लिक-सीवोटर- भाजपा को 108, कांग्रेस को 74, अन्य को 00 
एबीपी-सीएसडीएस- भाजपा को 117,  कांग्रेस को 64, अन्य को 01

गुजरात में 12 विधानसभा चुनाव और 55 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा मतदान 
लोकसभा के बाद 18 राज्यों में चुनाव हुए, गुजरात 7वां सबसे कम वोटिंग वाला राज्य

2017 में 182 विधानसभा सीटों पर 67.75% वोटिंग, 2012 से 3.55% कम 
2012 के चुनाव में 71.30% वोटिंग हुई थी

सबसे ज्यादा वोटिंग वाले 5 राज्य 
2014 लोकसभा चुनाव के बाद गुजरात 18वां राज्य है, जहां वोटिंग हुई। इनमें यह 7वां सबसे कम वोटिंग वाला राज्य है। इससे कम वोटिंग, यूपी, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, झारखंड में हुई है। लोकसभा चुनाव के बाद 5 राज्यों में 80% से ज्यादा वोटिंग हुई है। सबसे अधिक 85.87% वोटिंग मणिपुर में और असम में 84.49% हुई है।


मणिपुर 85.87% 
असम 84.49% 
पुड्‌डुचेरी 84.03% 
प.बंगाल 82.68% 
गोवा 81.21% 
गुजरात67.58%

क्या कहता है पिछला आंकड़ा 

वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर भाजपा को कम होने पर कांग्रेस को फायदा
गुजरात में 22 साल से भाजपा सत्ता में है। बावजूद, वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर उसे हर बार फायदा और कम होने पर थोड़ा-बहुत नुकसान हुआ है। गुजरात में हुए पिछले 7 विधानसभा चुनावों पर नजर दौडाएं जिनमें 2012 के विधानसभा चुनाव कों छोड़ दें, तो हर चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर भाजपा को फायदा हुआ है। उसकी सीटें वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर और बढ़ी हैं। 2012 में 2007 विधानसभा चुनाव से करीब 12% ज्यादा वोटिंग हुई थी। हालांकि इस बार भाजपा की सीटें 2007 के चुनाव से 2 कम हो गईं थीं। 2012 में भाजपा को 182 में से 115 और 2007 में उसकी 117 सीटें थीं। इसी तरह यदि 2012 को छोड़ दिया जाए तो जब वोटिंग प्रतिशत कम हुआ है, तब कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं। 2007 में 59% वोटिंग होने पर कांग्रेस को 59 और 2012 में 71% वोटिंग होने पर 61 सीटें मिलीं थीं। 1995 में 64.39% वोटिंग होने पर कांग्रेस को 45 और 1998 में 59.30% वोटिंग होने पर 53 सीटें मिली थीं। 

2012 विस चुनाव में 71.3% वोटिंग

गुजरात में शनिवार को पहले फेज में 19 जिलों की 89 सीटों पर करीब 68% वोटिंग हुई थी। इस बार 2012 के विधानसभा चुनाव से करीब 3 % कम वोटिंग हुई। 2012 में पहले फेज में 19 में से 15 जिलों में वोटिंग हुई थी। इन 15 जिलों में 72.37% वोट पड़े थे। इस बार चार नए जिलों में भी वोटिंग हुई है। 2012 चुनाव में 182 सीटों पर कुल 71.30% वोटिंग हुई थी। सबसे अधिक 75% वोटिंग नवसारी और मोरबी जिले में हुई। सबसे कम 60% वोटिंग बोटाद और पोरबंदर में हुई।
 

  • 2012 में भाजपा को 89 में से 63 और कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं 
  • 2012 में जिन जिलों में 80% से ज्यादा वोटिंग हुई थी, वहां इस बार 8 से 10% कम वोटिंग हुई है।
  • 2012 में सबसे कम 64% वोटिंग नवसारी में हुई थी। इस बार यहां सबसे ज्यादा 75% वोटिंग हुई है।  
  • 2012 में नर्मदा जिले में 83.27% वोटिंग हुई थी। इस बार यहां 10% कम वोटिंग हुई है। तापी में 81.36% हुई थी। इस बार यहां करीब 8% कम वोटिंग हुई है। 
  • पहले फेज के 19 जिलों में सबसे कम वोटिंग पोरबंदर में 60% रही। यह पिछले चुनाव से 6% कम है। 
  • 2017 में 19 में से 10 जिले में 70 प्लस वोटिंग हुई है। 2012 के चुनाव में 15 में से 7 जिले में 70% से ज्यादा वोटिंग हुई थी। 
  • सूरत, राजकोट, जामनगर, भावनगर, अमरेली, तापी, वालसाड़ में 2012 के विधानसभा चुनाव से कम वोटिंग हुई है। 


गुजरात विधान सभा के 7 चुनाव में 2 बार वोटिंग घटी, दोनों बार भाजपा को सीटों का नुकसान 

  • 1985 में 48.82 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 11, कांग्रेस को 49 अन्य को 22 सीटें मिली थीं 
  • 1990 में 52.20 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 67, कांग्रेस को 33 अन्य को 82 सीटें मिलीं 
  • 1995 में 64.39 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 121, कांग्रेस को 45 जबकि अन्य के खाते में 16 सीटें आई थीं 
  • 1998 में 59.30 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 117, कांग्रेस को 53 जबकि अन्य को 12 सीटें हासिल हुईं थीं 
  • 2002 में 61.54 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 127, कांग्रेस को 51, अन्य को 04 सीटें 
  • 2007 में 59.77 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 117, कांग्रेस को 59, अन्य को 08 सीटें मिलीं 
  • 2012 में 71.30 फीसदी वोटिंग- भाजपा को 115, कांग्रेस को 61, अन्य को 06 


4 क्षेत्रों में बंटा है गुजरात

गुजरात को 4 क्षेत्रों में बांटा गया है- नॉर्थ गुजरात, सौराष्ट्र-कच्छ, सेंट्रल गुजरात और साउथ गुजरात। राज्य की 182 सीटों में से नॉर्थ गुजरात में 53 सीट और सौराष्ट्र-कच्छ में 54 सीटें आती हैं। वहीं सेंट्रल गुजरात में 40 सीटें हैं, जबकि साउथ गुजरात में 35 सीटें शामिल हैं। 

इन सीटों पर कभी जीत नहीं पाई है BJP
राजकोट जिले की जसदान और तापी की व्यारा विधानसभा सीट पर BJP को 22 साल के शासन में कभी भी जीत नहीं मिली है। गुजरात के गठन के बाद से ही इन सीटों से हमेशा लोगों ने गैर-BJP उम्मीदवार को ही विधानसभा भेजा है। बीते 52 सालों में हुए 12 विधानसभा चुनावों में यहां जनसंघ या BJP को कभी जीत नहीं मिली। इस बार पीएम नरेंद्र मोदी ने जसदान और अमित शाह ने व्यारा विधानसभा में पार्टी का प्रचार किया है।
 

क्यों सटीक अनुमान नहीं बता पा रहे Exit Poll 
एक्जिट पोल करते वक़्त यह माना जाता है कि वोटर जब वोट देकर निकलता है तो वह सही बोलता है। लेकिन अब वोटर समझदार हो गया है। वह मुश्किल से ही सच बोलता है। कई बार तो वह पूछने वाले की मंशा के हिसाब से ऐसे जवाब देता है कि यहां तो इनकी हवा थी, इसलिए इन्हें ही वोट दे दिया, लेकिन पिछले कुछ समय से यह धारणा टूटी है। जिन एग्जिट पोल्स पर लोग पहले भरोसा करते थे वो अब गलत साबित होने लगे हैं। 2017 में हुए उत्तर प्रदेश चुनाव के एग्जिट पोल्स पूरी तरह गलत साबित हुए। एग्जिट पोल्स में शामिल हुई एजेंसी यह भांपने में नाकाम रही थी कि भाजपा को 325 सीटें मिल सकती हैं। सीएसडीएस का एक्जिट पोल तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन को भाजपा से कहीं आगे बता रहा था।

जबकि टुडे चाणक्य ने भाजपा को 285 के आसपास सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। जो कुछ हद तक नतीजों के आस-पास कहा जा सकता है। हालांकि इसी टुडे चाणक्य ने पंजाब के बारे में यह अनुमान लगाया था कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों को 54 सीटों के आसपास सीटें मिलेंगी, लेकिन "आप" को केवल 20 सीटें मिलीं।

1998 में मप्र में कांग्रेस सरकार थी। तब एग्जिट पोल ने कहा था कि कांग्रसे की सरकार दोबारा नहीं बनेगी। एग्जिट पोल भाजपा  सरकार बनने का दावा कर रहे थे, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह ने कहा था कि एग्जिट पोल आउट, दिग्वजिस सिंह इन। जब नतीजे आए तो यहां कांग्रेस की दोबारा सरकार बनी थी और तमाम पूर्वानुमान गलत साबित हुए थे। 

इसलिए गलत आते हैं नतीजे
बता दें कि एक्जिट पोल की सफलता सैंपल साइज की संख्या और उनकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है। ज्यादा सैंपल साइज वाले एक्जिट पोल के सही होने की ज्यादा संभावना होती है। साथ ही इस बात का भी महत्व होता है कि जो मतदान केंद्र सैंपल के लिए चुने गए वे मिश्रित आबादी के हिसाब से आदर्श हैं या नहीं? इसके अलावा एक्जिट पोल करने वालों की भी एक भूमिका होती है।


इस सीट से होकर जाता है सत्ता का रास्ता

गुजरात के "वलसाड सीट" को सबसे अहम माना जाता है। इस सीट के साथ एक अजीब सा विश्वास जुड़ा है। कहा जाता है कि जिस पार्टी का प्रत्याशी वलसाड सीट पर जीत हासिल करता है उसी पार्टी का झंडा पूरे राज्य में लहराता है। 1975 के बाद से ही ये अजीब सा विश्वास किया जाता रहा है।


1975 के बाद 3 बार कांग्रेस सरकार
बता दें 1975 में कांग्रेस के केशव रतनजी पटेल ने वलसाड में जीत हासिल की थी। इसके बाद 1980 में फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार दौलतभाई नाथुभाई देसाई ने इस सीट पर जीत हासिल की और कांग्रेस ने गुजरात में सरकार बनाई। 1985 तक कांग्रेस के उम्मीदवार बरजोरजी कावासजी पार्दीवाला ने जीत हासिल कर कांग्रेस का विजयी अभियान जारी रखा।

1990 से बीजेपी
साल 1990 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दौलतभाई देसाई ने जीत हासिल कर गुजरात में भाजपा और जनता दल गुजरात की गठबंधन सरकार बनवाई। 1995 में दौलतभाई ने दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की और पहली बार बीजेपी ने केशुभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में सरकार बनाई। 1998 में दौलतभाई देसाई ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की और फिर केशुभाई ने बीजेपी का नेतृत्व किया। 2002 फिर 2007 में दौलतभाई देसाई लगातार पांचवी बार इस सीट से विधायक चुने गए। 2012 में बीजेपी के भरतभाई कीकूभाई पटेल ने हाथ आजमाया। पटेल ने कांग्रेस के धर्मेश पटेल को 35,999 के बड़े अंतर से हराया था। 

गुजरात चुनाव इसलिए भी रहा चर्चा में 

  • हार्दिक पटेल की कई कथित सेक्स सीडी वायरल हुई, हार्दिक का आरोप था कि इसे भाजपा ने लीक कराया है।
  • मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को "नीच" कहा। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
  • गुजरात विधानसभा चुनाव में दलित नेता जिग्नेशमेवाणी का साथ देने के लिए बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका अरुंधती रॉय ने उन्हें इलेक्शन कैंपेन के लिए 3 लाख रुपये का चंदा दिया। अरुंधती से चंदा मिलने की पुष्टि खुद जिग्नेश ने की।
  • जीवीएल ने राहुल को बताया "बाबर भक्त" और "खिलजी का रिश्तेदार"।


भाजपा का संकल्प पत्र
संकल्प पत्र में बीजेपी ने जनता से कईं बड़े वादे किए। बीजेपी ने अपने "संकल्प पत्र" में गुजरात को एक रखने और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की बात कही।
कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के सवाल खड़े करने के बाद बीजेपी द्वारा चुनाव के कुछ घंटों पहले घोषणापत्र जारी करना जल्दी में लिया फैसला माना गया। कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गाधी ने ट्विटर पर बीजेपी पर हमला बोला और इसे "गुजरातियों का अपमान" बताया।


कांग्रेस के घोषणा पत्र की मुख्य बातें

  • कांग्रेस ने पाटीदारों और सवर्णों को ईबीसी और आरक्षण के लाभ का वादा किया। साथ ही 49 % आरक्षण में बदलाव के बगैर आरक्षण देने की बात भी कही।
  • घोषणापत्र में राज्य में अल्पसंख्यक आयोग बनाने का वादा किया गया।
  • पेट्रोल-डीजल और बिजली को सस्ता करने का वादा भी किया गया।  
  • किसानों से फसल बोने से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा भी किया गया। 
  • शहरी गरीबों के लिए 25 लाख घरों की घोषणा। 
  • महिलाओं के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन, पहली कक्षा से कॉलेज तक मुफ्त शिक्षा, अकेली महिलाओं के लिए घर को प्राथमिकता, महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन। 

Created On :   16 Dec 2017 11:59 AM GMT

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