अगर दुबे का एनकाउंटर नहीं होता तो पीड़ितों को न्याय मिलता : सर्वे

If Dubeys encounter did not happen then victims would have got justice: Survey
अगर दुबे का एनकाउंटर नहीं होता तो पीड़ितों को न्याय मिलता : सर्वे
अगर दुबे का एनकाउंटर नहीं होता तो पीड़ितों को न्याय मिलता : सर्वे
हाईलाइट
  • अगर दुबे का एनकाउंटर नहीं होता तो पीड़ितों को न्याय मिलता : सर्वे

नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे को कथित पुलिस मुठभेड़ में शुक्रवार की सुबह मार गिराया गया है। इस बीच अधिकांश लोगों का मानना है कि अगर दुबे को मारा नहीं जाता तो पीड़ितों को न्याय मिल जाता। यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है।

आईएएनएस-सीवीओटर स्नैप पोल में शामिल अधिकांश लोगों का मानना था कि अगर दुबे मुकदमे से गुजरता तो शहीद हुए पुलिसकर्मियों को सही मायने में कुछ न्याय मिलता।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किए जाने के बाद दुबे को शुक्रवार को वापस कानपुर लाया जा रहा था। पुलिस के अनुसार, कानपुर के पास उनकी गाड़ी पलट गई, जिसके बाद दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस कर्मियों की पिस्तौल छीनकर उन पर गोली चलाने की भी कोशिश की, जिसके बाद मुठभेड़ में दुबे मारा गया। इसके बाद से दुबे एनकाउंटर मामला सभी की जुबान पर है और इस संबंध में सभी अपनी-अपनी राय रख रहे हैं।

सर्वेक्षण के दौरान लोगों से एक सवाल किया गया कि क्या दुबे को मारे जाने के बजाय अगर उसे अदालती सुनवाई से गुजरना पड़ता तो शहीद हुए पुलिसकर्मियों और पीड़ितों को न्याय मिलता।

सर्वे में 1,500 उत्तरदाताओं में से 29.6 प्रतिशत ने उत्तर दिया कि वे काफी हद तक भरोसा करते हैं कि पीड़ितों को अदालतों के माध्यम से न्याय मिल सकता था, जबकि 24.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे कुछ हद तक भरोसा कर सकते हैं कि उन्हें अदालतों के माध्यम से न्याय मिल सकता था।

कुल मिलाकर 54.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि इस परिस्थिति में न्याय संभव था।

दूसरी ओर 45.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें कोई भरोसा नहीं है कि उन्हें अदालतों के माध्यम से न्याय मिल सकता था।

कई लोगों का मानना है कि दुबे बदमाशों, राजनेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। इसलिए उसकी एनकाउंटर में हुई मौत ने सांठगांठ को उजागर करने की संभावना को ही खत्म कर दिया।

इसके अलावा गुरुवार को किए गए एक आईएएनएस-सीवीओटर स्नैप पोल में भी स्पष्ट मत देखने को मिला कि दुबे की गिरफ्तारी एक आत्मसमर्पण है और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की अक्षमता भी उजागर हुई है।

सर्वेक्षण में एक सवाल पूछा गया कि उज्जैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी क्या साबित करती है। इस पर लगभग दो तिहाई या 66.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस की अक्षमता को दर्शाता है।

शेष 33 प्रतिशत ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस की अक्षमता को नहीं दर्शाता है।

सर्वे में शामिल लोगों से एक सवाल पूछा गया कि क्या यह मध्य प्रदेश पुलिस की सतर्कता थी कि गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया या आपको लगता है कि उसने मुठभेड़ के डर से खुद ही आत्मसमर्पण किया है। इस पर उत्तरदाताओं ने माना कि दुबे ने आत्मसमर्पण किया था।

कुल 84.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि दुबे ने खुद ही आत्मसमर्पण किया है, क्योंकि उसे उसका एनकाउंटर हो जाने का डर था। केवल 15.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस अलर्ट थी, जिसके बाद विधिवत रूप से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

Created On :   10 July 2020 7:30 PM IST

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