समझौतों से बंधे भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया

Indian soldiers tied to agreements did not use weapons against Chinese soldiers
समझौतों से बंधे भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया
समझौतों से बंधे भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों के पास हथियार होते हुए भी उन्होंने भारत व चीन के बीच द्विपक्षीय समझौतों के कारण इनका इस्तेमाल नहीं किया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा, हमें तथ्यों को ठीक से समझ लेना चाहिए। सीमा पर ड्यूटी कर रहे सभी सैनिक हमेशा हथियारों से लैस होते हैं। पोस्ट से निकलने के दौरान भी भारतीय जवान हथियारों से लैस होते हैं। बीते 15 जून को गलवान घाटी में ड्यूटी पर तैनात जवानों के पास हथियार थे। जयशंकर ने चीनी सैनिकों पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं किए जाने को लेकर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि गतिरोध के वक्त हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी परंपरा (1966 और 2005 समझौतों के तहत) रही है।

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने झड़प के समय जवानों के बिना हथियार होने को लेकर सवाल किए थे। उनके ट्वीट को रीट्वीट करते हुए विदेश मंत्री ने राहुल को जवाब दिया। गलवान घाटी में 15 जून की रात भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यह झड़प तब हुई जब एक भारतीय गश्ती दल ने चीनी सैनिकों उस क्षेत्र में पाया, जहां से चीनी सैनिकों को छह जून के समझौते के अनुसार पीछे हट जाना था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड, कांटेदार तार से लिपटा हुए डंडे से भारतीय जवानों पर हमला बोल दिया। इस झड़प में खूब लात-घूंसे चले और चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय जवानों पर पत्थर भी फेंके गए। जयशंकर के अनुसार, भारतीय सैनिकों ने हथियारों का उपयोग करने से परहेज किया, क्योंकि वे 1996 और 2005 के दो द्विपक्षीय समझौतों से बंधे थे।

1996 के समझौते के अनुसार, कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता का उपयोग नहीं करेगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सीमा क्षेत्रों में दोनों ओर से तैनात किसी भी सशस्त्र बल को उनके संबंधित सैन्य ताकत के हिस्से के रूप में उपयोग नहीं किया जाएगा। कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष पर हमला करने, या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाली सैन्य गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा।

इसी समझौते में यह भी कहा गया है कि सीमा के संबंध में एक अंतिम समाधान लंबित है और ऐसे में दोनों पक्ष एलएसी का कड़ाई से सम्मान करेंगे और निरीक्षण करेंगे। समझौते में कहा गया है, एलएसी पर कोई भी गतिविधि आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।

समझौते के आगे के अनुच्छेद में कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात की पुष्टि करेंगे कि वे भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी के साथ पारस्परिक रूप से सहमत भौगोलिक क्षेत्रों के भीतर अपने संबंधित सैन्य बलों को कम या सीमित करेंगे, जो मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों के साथ न्यूनतम स्तर पर संगत होंगे। 2005 के भारत-चीन समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष किसी भी तरह से एक-दूसरे के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करेंगे।

 

Created On :   19 Jun 2020 3:30 PM IST

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