दैनिक भास्कर हिंदी: क्या नोएडा की मनहूसियत के फेर में फंस गए हैं सीएम योगी?

June 1st, 2018

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। नोएडा के बारे में अंधविश्वास है कि जो मुख्यमंत्री वहां जाता है, उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है। पिछले साल दिसंबर में योगी आदित्यनाथ ने नोएडा की यात्रा कर इस अंधविश्वास को तोड़ने की बहादुरी दिखाई थी। इसके बाद यूपी में 3 लोकसभा और 1 विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। इसे संयोग कहिए या नोएडा यात्रा का असर कि इन चुनाव में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी को पराजय का सामना करना पड़ा। 

 

क्या योगी को महंगी पड़ने वाली है बहादुरी

साल 2014 के बाद हुए ज्यादातर उप-चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। इस दौरान 27 लोकसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव में 24 पर बीजेपी सीधे तौर पर लड़ी, लेकिन सिर्फ 5 सीटें ही जीत पाई। बाकी सीटें उसने विपक्ष के हाथों गंवा दी। यही नहीं, इस दौरान बीजेपी के वोट शेयर में भी गिरावट दर्ज की गई है। इस साल यूपी की 3 लोकसभा सीटों और 1 विधानसभा सीट पर भाजपा को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ की ओर उंगलियां उठने लगी हैं। 

 

लगातार आ रहे निराशाजनक नतीजों के बाद चर्चा की जा रही है कि क्या नोएडा का 'मनहूस' साया यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पीछे लग गया है?

 

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नोएडा पर अंधविश्वास का मनहूस साया

नोएडा के बारे में अंधविश्वास है कि जो मुख्यमंत्री वहां जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। नोएडा के 'मनहूस साये' वाले अंधविश्वास की शुरुआत सन 1980 के दशक में उस समय हुई थी, जब 1988 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा की यात्रा की। इवहां से लौटने के तुरंत बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से यूपी के मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाने से बचने लगे।


तिवारी, कल्याण और मुलायम ने भी गंवाई थी कुर्सी

सन 1989 में नारायण दत्त तिवारी और 1999 में कल्याण सिंह ने भी मुख्यमंत्री के रूप में नोएडा की यात्रा की और इसके बाद हुए नाटकीय घटनाक्रम की वजह से उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। इसके बाद तो यह अंधविश्वास गहरे विश्वास में बदल गया। वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जब यूपी के मुख्यमंत्री थे, तो अपनी तमाम प्रगतिशालता के बाद भी उन्होंने कभी नोएडा का रुख नहीं किया। सन 1995 में सीएम मुलायम सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब उन्होंने नोएडा की यात्रा की। इसके कुछ दिन बाद ही उनकी कुर्सी चली गई थी। 

 

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अखिलेश कभी नहीं गए, पर होना पड़ा सत्ता से बेदखल 

सन 2011 में मेट्रो सर्विस के उद्घाटन के लिए मायावती नोएडा आईं थीं और 2012 में उन्हें समाजवादी पार्टी के हाथों सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इसके बाद सीएम रहते अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में नोएडा और ग्रेटर नोएडा जाने का कभी नाम भी नहीं लिया। उन्होंने अपने लखनऊ आवास से एनसीआर की बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसके बाद भी उन्हें बीजेपी के हाथों पराजित होकर सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इस वजह से बहुत सारे लोग इसे महज अंधविश्वास ही मानते हैं।