- भारत और चीन की आर्मी के बीच 9वें दौर की वार्ता, फ्रिक्शन पॉइंट से सैनिकों के डिसएंगेजमेंट पर चर्चा
- ट्रैक्टर रैली में गड़बड़ी फैलाने की पाक की साजिश, दिल्ली पुलिस ने 308 ट्विटर हैंडल का पता लगाया
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी ने निकाला गया, संविधान को ताक पर रखकर भंग की थी संसद
- किसानों को मिली गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति, शर्तों का करना होगा पालन
- शादी के बंधन में बंधे वरुण और नताशा, सोशल मीडिया लिखा-जीवन भर का प्यार अब ऑफिशियल हो गया
CJI गोगोई पर यौन शोषण के आरोपों की जांच करेंगे जस्टिस बोबडे, समिति गठित

हाईलाइट
- CJI रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों का मामला।
- आरोपों की आंतरिक जांच के लिए समिति गठित।
- जस्टिस बोबडे, जस्टिस रमन, जस्टिस इंदिरा बनर्जी करेंगे जांच।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पर लगे यौन शोषण के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया है। वरिष्ठता क्रम के मुताबिक वह चीफ जस्टिस गोगोई के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं।
जांच के लिए 3 जजों की समिति गठित
जस्टिस बोबडे ने खुद इस खबर की पुष्टि की है। जस्टिस बोबडे ने बताया, नंबर 2 जज होने के नाते सीजेआई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा उनके (सीजेआई गोगोई के) खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरापों की जांच के लिए नियुक्त किया है। उन्होंने बताया, सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों- जस्टिस एन. वी. रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की गई है।
शुक्रवार को होगी पहली सुनवाई
जस्टिस बोबडे ने कहा, मैंने समिति में जस्टिस रमन को शामिल करने का फैसला किया है क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और जस्टिस बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला जज हैं। उन्होंने कहा, उस महिला को भी नोटिस जारी कर दिया गया है जिसने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए जजों को पत्र लिखे थे। इस मामले में पहली सुनवाई शुक्रवार को होगी और सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को भी सभी दस्तावेजों और सामग्री के साथ तैयार रहने के लिए कहा गया है।
CJI ने आरोपों को किया था खारिज
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं, लेकिन न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।